...

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मुझको सरकार बनाने दो।
आ गया चुनाव का मौसम,थोड़ी
अब रार मचाने दो।
फिर एक बार फिर एक बार मुझको सरकार बनाने दो।
जीवन की आज परीक्षा है।
अब एकमात्र यह ईच्छा है।।
जोड़ तोड़ तिकड़मकरने की
मेरे झगुरू ने दी यह शिक्षा है।।
सत्ता की कुर्सी पर फिर मुझको
अधिकार जमाने दो।
फिर से फड़कती बोटी है।
नीयत जो अपनी खोटी है।।
विरोधी के शासन को देख
सीने पर सर्पिणी लोटी है।।
फिर एक बार अपने चमचो से अब
जयकार कराने दो।
सारे गुंडे और मवाली
करेगे कुर्सी की रखवाली।
भरे रहेगे इनके पेट
जेब रहेगी कभी ना खाली।।
गले में माला हाथ में माईक फिर से
यह रौब जमाने दो।
जनता में दूंगा खूब भाषण।
पर दूंगा कभी ना राशन।
भाषण से सबका पेट भरेंगे
इस तरह करूंगा मैं शासन।।
लोगो के जले फफोले पर अब
मरहम नोन लगाने दो।
हे जनगण अब करो कृपानिधान
अपने को भरमाने दो।
अरुण ',अकेला'



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