...

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गजल आईना

आने पर पर सबका अक्श दिखाता है आईन।
पर किसी को नही पास बुलाता हैआईना
पारदर्शिता से लिपटी है इसकी गहराई,
नही कभी इसको छिपाता है आईना।जालसाजी फरेब से तो रहता है दूर दूर,
ना नकली अक्स दिखा सताता हैआईना
साफ और वास्तविक है इसका चरित्र ,
ना कभी झूठा रौब जमाता है आईना।
रोज रोज लोग आते इसके निकट,
सबसे अपना साथ निभाता है आईना।।
अरूण 'अकेला'