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रफ्तार-ए-जिदंगी
ए जिंदगी क्यों तेरी इतनी रफ्तार,
अच्छे-अच्छे हुए तेरे खेल में गिरफ्तार,
इंसान को महज कठपुतली क्यो समझे तू...
बचपन निकल जाता तेरी रफ्तार में...
जवानी निकलती रफ्तार में,
तुझे सवारने में...कैरियर बनाने में...
बुढ़ापा तेरी रफ्तार की कहानियां सुनाने में...
अरे तू बेवफा है जिंदगी...
तेरी रफ्तार बेवफा...
तेरा किरदार बेवफा...
मौत मेहबूब है...
तुझसा साथ ना छोड़ेगी...
साथ ले जाएगी....
धरती से मेरा अस्तित्व मिटएगी....
अपनी प्रीत निभाएगी...
© Aиυѕнкα נнα_✍️
अच्छे-अच्छे हुए तेरे खेल में गिरफ्तार,
इंसान को महज कठपुतली क्यो समझे तू...
बचपन निकल जाता तेरी रफ्तार में...
जवानी निकलती रफ्तार में,
तुझे सवारने में...कैरियर बनाने में...
बुढ़ापा तेरी रफ्तार की कहानियां सुनाने में...
अरे तू बेवफा है जिंदगी...
तेरी रफ्तार बेवफा...
तेरा किरदार बेवफा...
मौत मेहबूब है...
तुझसा साथ ना छोड़ेगी...
साथ ले जाएगी....
धरती से मेरा अस्तित्व मिटएगी....
अपनी प्रीत निभाएगी...
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