ये दिल...
ये दिल शीशे के गाँव जैसा दरक गया है,
काँच के मकान सा छनक गया है..
खपरैल ईट पत्थर सा छटक गया है,
छप्पर,परछती,साईबान जैसा जल गया है..
कास पत्ती पतावर जैसा भभक गया है,
मिट्टी,बालू,रेत जैसा बिखर गया है...और तुम दिल को आदर्श गाँव बनाने पर तुले हो।
काँच के मकान सा छनक गया है..
खपरैल ईट पत्थर सा छटक गया है,
छप्पर,परछती,साईबान जैसा जल गया है..
कास पत्ती पतावर जैसा भभक गया है,
मिट्टी,बालू,रेत जैसा बिखर गया है...और तुम दिल को आदर्श गाँव बनाने पर तुले हो।