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सफ़र...
ज़िंदगी के इस सफ़र में धूप बहुत तेज है
मगर अफसोस, रास्ता मेरा कभी छाँव तक नहीं पहुँचा,
हर शहर में घुटन है, बेबसी है, घोर मजबुरी है
मैं चाहकर भी इस घुटन से कही और नहीं पहुँचा
प्रिये तुमने देना तो चाहा सुकून दिल को मेरे,
मगर तेरा मरहम मेरे जख्मो तक नहीं पहुँचा,
तुमने कर लिया था किनारा मुझसे सफ़र के बीच में ही,
इसलिए तो प्यार अपना आख़िरी दाँव तक नहीं पहुँचा,..✍
jaswinder chahal
17/6/2024
© All Rights Reserved
मगर अफसोस, रास्ता मेरा कभी छाँव तक नहीं पहुँचा,
हर शहर में घुटन है, बेबसी है, घोर मजबुरी है
मैं चाहकर भी इस घुटन से कही और नहीं पहुँचा
प्रिये तुमने देना तो चाहा सुकून दिल को मेरे,
मगर तेरा मरहम मेरे जख्मो तक नहीं पहुँचा,
तुमने कर लिया था किनारा मुझसे सफ़र के बीच में ही,
इसलिए तो प्यार अपना आख़िरी दाँव तक नहीं पहुँचा,..✍
jaswinder chahal
17/6/2024
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