...

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समुंदर की तलाश
कश्ती पर स्वार हो कर मैं समुंदर की तलाश को निकाल पड़ा
बेखौफ बेवजह मैं जिंदगी को मज़ाक समझ कर निकल पड़ा

लोग सामने से मीठे थे पीठ पीछे उलट हो गए यही तो सबक मैं साथ ले कर निकल पड़ा

तूफ़ान ज़ोर से था में सहम कर दुबक गया, किस्मत ने कहाँ आकर पटका मैं उसी के सहारे हो पड़ा

कहीं रोशनी की तलाश थी तो कहीं थोड़ी सी उम्मीद बस इन्हीं बातों को सोच कर मैं आगे की और निकल पड़ा

कश्ती पर स्वार हो कर मैं समुंदर की तलाश को निकाल पड़ा
बेखौफ बेवजह मैं जिंदगी को मज़ाक समझ कर निकल पड़ा


© BABA ADAM