...

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कश्मकश से घिरा मानव मस्तिष्क
कशमकश से घिरा मानव मस्तिष्क काल चक्र,
में फंस कर विलुप्त के कग़ार में ग़ुम हो जाता है!

कभी खुद की तक़दीर से हार,वो टूट कर काँच की,
तरह बिखर कहीं मायूस एवं हताश हो जाता है !

परिवार के जिम्मेदारियों की बोझ तले,अपनी ख़ुशी
को कहीं ना कहीं दुःख में...