...

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अगर मैं सैनिक हूँ......
मैं लहूलुहान होना नहीं चाहता
देश को भी खोना नहीं चाहता
क्या कोई है पवित्र इतना यहाँ
वरना मैं भी साफ होना नहीं चाहता।
हर तरफ मंजर है खौफ का
दर्द का तो कभी मौत का
मैं तन्हाई के हाल में
अब और जीना नहीं चाहता।
ईमान की बात करना नहीं चाहता
फर्ज़ को अपने छोड़ना नहीं चाहता
जो रूबरू होते हैं जंग से हर रोज़
मैं आईना तेरा उस तरफ मोड़ना नहीं चाहता।
पाक इरादे होते नहीं इन दिनों
मोहब्बत में वादे होते नहीं इन दिनों
तो मैं भी आलम-ए-दिल की
तस्वीर खींचना नहीं चाहता।
उनसे रिश्ता जोड़ना भी नहीं चाहता
ख्वाब मेरे ही मैं तोड़ना नहीं चाहता
कुछ बिखरी सी यादें ही हैं अपनों की
बस दिल में ही उनको दफ़न करना नहीं चाहता।
©️इन्दु तोमर ✍️
© InduTomar