...

5 views

अंदाज़
अवश्य भावी है
मेरे शब्दों का बाढ़
आप तब तक जाना चाहिए
फिर हो परिणाम कुछ भी
इस युद्ध का जो
गहन चिंतन के पश्चात
अंतर्मन होना चाहिए
इस सामाजिक बाजार में
सब कुछ परफेक्ट होना चाहिए
जंग लगी हो भले
स्वयं की सोच पर
डिफेक्ट दूजे में नहीं होना चाहिए
आद्यम अटल अनुपम दृढ़ निश्चय
व्यक्तित्व होना चाहिए
चक्षु ओझल ना हो मोहिनी सूरत से
इफैक्ट ऐसा पढ़ना चाहिए
इस सामाजिक…….
स्त्री के भेष में
किरदार सारे आने होने चाहिए
चीन लज्जा से अलंकृत
स्वाभिमान से लिपटी होनी चाहिए
हो भले ही ग्रंथ मेरे खोखले
शब्द ज्ञान वर्धन के होने चाहिए
रसास्वादन रूपी तृष्णा जीवन की
नेगलेक्ट ना होनी चाहिए
इस सामाजिक……..
महंगाई की मार है चहूं और
अनुकंपा भी मुफ्त में चाहिए
दृष्टांत भी ना मिल सके ऐसा कोई
तलाश निरंतर ही रहनी चाहिए
हो उपहास करने सभी दक्ष
किंतु कीर्ति मेरी ही बढ़नी चाहिए
अरे विधाता की कलम से
रचा है यह संसार जैसे कविता
कभी रिजेक्ट नहीं होनी चाहिए

© InduTomar