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तिरंगा
सैनिक सरहद के रखवाले हैं। मातृभूमि से प्यार करने वाले इन देश भक्तों को उचित सम्मान और इनके परिवार की उचित व्यवस्था होनी चाहिए।
तिरंगे की अभिव्यक्ति को इस कविता में पिरोने का प्रयास किया है।

कविता का शीर्षक है तिरंगा

तीन रंगों का मैं रखवाला खुशहाल भारत देश हो।
मेरी भावनाओं को सब समझें ऐसा यह सन्देश हो।

जब-जब होता छलनी मेरा सीना मैं भी अनवरत रोता हूँ ।
मेरे दिल की तो समझो मैं भी कातर और ग़मज़दा होता हूँ।
सब के मन को निर्मल कर दो प्यार का समावेश हो।
मेरी भावनाओं को सब समझें मेरा यह सन्देश हो।

उस छोटी-सी बच्ची को देखो पापा किसे बुलाएगी।
किस के कन्धे पर बैठकर दुनिया का हाल सुनाएगी।
दुश्मन खड़ा ताकता समझें उसकी घिनौनी सोच को।
मेरी भावनाओं को सब समझें ऐसा यह सन्देश हो।

जाकर उस माता से पूछो जिसने अपना लाल गँवाया है।
निर्जीव देह देखकर कहती मैंने एक और क्यों न जाया है |
तेरे जैसी वीरांगनाओं से ही देश का उन्नत भाल हो।
मेरी भावनाओं को सब समझें मेरा यह सन्देश हो।

मैं भी सोचा करता हूँ पर इस व्यथा को किसे सुनाऊँ मैं।
छलनी होता मेरा सीना अपनी यह पीड़ा किसे दिखाऊँ मैं।
देश की खातिर देह उत्सर्ग हो यही सबका अंतिम प्रण हो।
मेरी भावनाओं को सब समझें मेरा यह सन्देश हो।

वैष्णो खत्री वेदिका जबलपुर ( मध्यप्रदेश ) कापीराइट /सर्वाधिकार सुरक्षित.