...

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Lovely small poem
अबतक की अपनी जिंदगी में बहुतों को देखा है, पर खुद को कैसे बदलते हैं मेंने तुमसे सीखा है।

शुरुआत में हॉस्टल में जो कांड हुआ करता था, सबसे पहले उसमें तुम्हारा नाम हुआ करता था।

मैंने साथ रहकर जहां तक तुमको पहचाना है,
कोई ऐसा नशा नहीं होगा जो तुमने नहीं जाना है।

फिर तुमने खुद को जैसे संभाला ये कमाल है,
Sadaf के आने पर ऐसा हुआ ये मेरा खयाल है।

अतुल अब तुम जैसे बन गए हो ऐसे ही रहना,
चाहे लाख कठिनाई आए पर खुद को ना बदलना।

कुछ लिख पाया तुम्हारे बारे में कुछ मुझे याद नहीं,
अब इससे ज्यादा क्या लिखूं मेरे पास अल्फ़ा़ नहीं।
© Ram Charan