बचपन
सकून को तलाशती निगाहें,बचपन जीना चाहती हैं,
महकती हैं हर राहें वहां,मासूमियत इतराती है।
बेफिक्र सी ये ज़िन्दगी हर पल जहां मुस्कुराती है,
हर भेदभाव से दूर रहकर जीने की राह सिखाती हैं।
महकती हैं हर राहें वहां,मासूमियत इतराती है।
बेफिक्र सी ये ज़िन्दगी हर पल जहां मुस्कुराती है,
हर भेदभाव से दूर रहकर जीने की राह सिखाती हैं।
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