साल गुजरने वाला है
तो क्या हुआ जो नित पराजय का स्वाद तूने चखा।
तो क्या हुआ जो दुर्भाग्य है तेरा जैसे एक सखा।।
कर कर्म अपना तू , ना परिणामों से भयभीत...
तो क्या हुआ जो दुर्भाग्य है तेरा जैसे एक सखा।।
कर कर्म अपना तू , ना परिणामों से भयभीत...