शेष यही विरासत रीत-रंग है
जब भी बीते कल की स्मृति कौंध जाती हैं !
मन में ख़ुशियों संग ग़म की बदली छा जाती है !!
निश्छल बचपन की कहानियाँ,प्यार की निशानियाँ !
माँ का प्य़ार ,पिता का दुलार ,वो अल्हड़ नादानियां !!
कब बदल गई जीवन की राहे ,छोड़कर गली चौराहे !
बहुत दूर रह गई---पिता की ठांव,माँ की उदार बाहें !!
जीवन के कई रंग,प्य़ार,द्वन्द्व,संघर्ष ,ग़म,ख़ुशी संग हैं !
स्मृतियाँ गूँथी चुन-चुन,शेष यही विरासत,रीत-रंग है!!
©MaheshKumar Sharma
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