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कुतरा हुआ अंश, बचा टूकड़ा था बस।
खत्म थी खुशीयां, केवल दुखड़ा था बस।
गुजारे दौर ना मुकम्मल कभी गुजरे,
सम्हलने में ही हरदम बिखरा था बस।
--"प्यासा"
स्वरचित रचना 🌺
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