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"बंद किवाड़"
कुछ तो किस्सा-ए-माज़ी होगा
इन बंद किवाड़ों का!!
आमद थी जिन गलियों और दरों से
इस घर में,आज क्यों ये वीरान हो गया!!
कभी अपनों के संग जहां खुशियों और ग़मो
को साझा किया जाता था !!
आज क्यों फिर उस शोरगुल और हंसने की
आवाजें सन्नाटे में तब्दील हो गया!!
जहां मिलकर हर त्योहार मनाया करते थे सभी
यक-ब-यक फिर क्यों वो किस्सा भी तमाम हो गया!!
© Deepa🌿💙
इन बंद किवाड़ों का!!
आमद थी जिन गलियों और दरों से
इस घर में,आज क्यों ये वीरान हो गया!!
कभी अपनों के संग जहां खुशियों और ग़मो
को साझा किया जाता था !!
आज क्यों फिर उस शोरगुल और हंसने की
आवाजें सन्नाटे में तब्दील हो गया!!
जहां मिलकर हर त्योहार मनाया करते थे सभी
यक-ब-यक फिर क्यों वो किस्सा भी तमाम हो गया!!
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