...

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दिली खाईश
दिल के कोने मे थी एक बात,
खो गया बिन तेरे साथ !

दिल का दिमाग से जगड़ा हर रात,
केसे माँगू में तेरा हाथ ?

मृगतृष्णा से मेरे हालात,
भटका हुआ में पाथ!

तन्हाई ने दिखाई तेरी तकात,
कुछ तो रस्ता दिखा मेरे दीनानाथ ?

दिला दे मेरे बंजर मन को खात,
कर एसे की हो उसकी गोद मे मेरा माथ !

दुल्हन सजे वो लेके आऊँ मे बारात
अमर हो जाए तेरा मेरा प्रेम गाथ !

-आगम
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