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इस तरह तुम मिले
इश्क़ में गुलाब उगाए थे मैंने
सब्र में बेइंतेहा काँटे मिले
बेफिक्री से मैंने चाहा था उनको
इश्क़ में बेपरवाह कोई और हाथ थामे मिले
लगता नही दिल अब किसी पर
अब हर चेहरे मेरे आजमायें मिले
चेहरे की नुमाईश से बात बढ़ी
खोखले दिल से मुस्कुराते मिले
किसी के सब्र का बाँध टूटा
तो किसी और को चाहते मिले
तुम नही तो कोई और सही
इश्क़ को लक्ष्य बनाते मिले
मजाक बन गया ये एहसास - ए - मोहब्बत
"करण" बताये पसन्द का बनो तो ठुकराते मिले
© Karan
सब्र में बेइंतेहा काँटे मिले
बेफिक्री से मैंने चाहा था उनको
इश्क़ में बेपरवाह कोई और हाथ थामे मिले
लगता नही दिल अब किसी पर
अब हर चेहरे मेरे आजमायें मिले
चेहरे की नुमाईश से बात बढ़ी
खोखले दिल से मुस्कुराते मिले
किसी के सब्र का बाँध टूटा
तो किसी और को चाहते मिले
तुम नही तो कोई और सही
इश्क़ को लक्ष्य बनाते मिले
मजाक बन गया ये एहसास - ए - मोहब्बत
"करण" बताये पसन्द का बनो तो ठुकराते मिले
© Karan
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