...

7 views

वहम
न जाने क्यों वो थम सी गयी
चेहरे की रौनक आंख नम हो गयी
कुछ टूटे से थे अल्फ़ाज़ उसके
कुछ भीतर दफ्न थे राज उसके

इक लहर थी वो बहती हुई कश्ती
न जाने क्यों वो जम सी गयी
सवाल बस था एक उससे
सारे दर्द तूने लिए क्यों अपने हिस्से

नाज़ुक सी तू और मोड़ है कठिन सा
देखी जो हकीकत दुनिया की तूने
चीख निकली और सहम सी गयी

उम्मीद थी कि ये स्वप्न हो ,तू गहरी नींद में मस्त हो
मैं तेरे खुशियों का पहरेदार ,मेरा एक रोज गश्त हो
ये बातें सारी वहम से गयी

नाज़ुक सी तू और मोड़ है कठिन सा
देखी जो हकीकत दुनिया की तूने
चीख निकली और सहम सी गयी


© 𝓴𝓾𝓵𝓭𝓮𝓮𝓹 𝓡𝓪𝓽𝓱𝓸𝓻𝓮