...

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आहट
गुजर चुका है वो पल ,जिससे जल चुका हूँ मैं
अब तो आहट भी उस पल की मुझे झकझोर देती है

मज़बूती से सामना किया उस दर्द का

अक्सर तेरी याद अब ,
कांच की तरह मुझे तोड़ देती है

हर गुनाह के बंधन से कानून
एक वक्त के बाद देकर सजा छोड़ देती है

एक तेरी याद और तेरे दिए ज़ख्म
एक नए वक़्त के साथ एक नया मोड़ लेती है

अक्सर तेरी याद अब ,
कांच की तरह मुझे तोड़ देती है।

© 𝓴𝓾𝓵𝓭𝓮𝓮𝓹 𝓡𝓪𝓽𝓱𝓸𝓻𝓮