...

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जन्म दिवस
इक गीत मैं सबको सुनाऊं क्या
अपनी बहना पर कविता इक गाऊं क्या
जो सबको हँसाकर खुश करती है
उस अज़ीज की बात बताऊँ क्या
शुरू से ही है वो हंसी की पुड़िया
प्यारी है सबको जैसे हो वो अप्सरा की गुड़िया
हर पल हंसी-ठिठोली करनेवाली
सबके जीवन में हर्षोल्लास भरनेवाली
नाजुकता को अपने ह्रदय में धारण करके चलनेवाली
है मेरी बहन है वो,है ही उसकी बात निराली
शुरू में तो बहुत दूर हम सब से रही वो
अब ना बिना हमसबके रह पाती है लड़की जो
बालकाल्य से ही उसने अपनी किताबों का महत्व जाना
शिक्षा से ही सबकुछ प्राप्त होगा यही है उसने ठाना
शुरू से ही वो मेधावी छात्र रही
उच्च शिक्षाओं में ना तुम्हारी अच्छे शिक्षकों से मुलाकात रही
अब तो तुमने परास्नातक भी कर लिया है
पर अब भी तुमको बचपने ने जकड़ा हुआ है
है ज्ञात तुम्हें कि ये कविता किन आयामों में मैंने गढ़ा है
ऐसा लगता है जैसे मैंने उन सब पलों अपे समक्ष अभी पढ़ा है
परिपेक्ष कोई भी हो हर तरह से हम सब पूर्ण हैं
जितना हमने सब चीजों एहसास किया है वो सब सम्पूर्ण है
प्रार्थना रहेगी ईश्वर से यही हरपल
खुशियाँ रहे जीवन में तुम्हारे हरदम
जन्मदिन की तुमको अनेकान शुभकामनाएं
पूरी करो जो तुमसे हैं सबकी आशाएं
ईश्वर रखे सदैव तुमको सुखी और प्रगतिशील
सफलता की ओर ही हो तुम्हारा हर कदम गतिशील
© प्रांजल यादव