...

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वो एक रात...
#जंगल
मैंने कहा था स्पेयर टायर चेक करवा लेना निकलने से पहले, लेकिन तुम को तो बस हर बात मज़ाक लगती है। सुदीप ने गुस्से में झुंझलाते हुए रवि से कहा। उफ्फ नेटवर्क भी नहीं है मोबाइल में और इस घने जंगल में कोई दिख भी नहीं रहा। अब हम क्या करें हम यहां फंस गए हैं। थक हार कर दोनों वहीं पर बैठ जाते हैं और सोचने लगते हैं कि अब क्या किया जाए। सुदीप रवि से बोलता जा रहा था कि सब तेरी गलती है। अब बताओ हम वक्त पर कैसे पहुंचेंगे और यहां से बाहर कैसे निकलेंगे। तभी अचानक उन्हें किसी गाड़ी के हॉर्न की आवाज सुनाई पड़ती है। दोनों खड़े होते हैं और इस गाड़ी का इंतजार करने लगते हैं। जैसे ही गाड़ी पास में आती है वह उसे इशारा करके रोकने की कोशिश करते हैं। गाड़ी उनके ठीक सामने आकर रुक जाती है और कार का ब्लैक शीशा नीचे होता है। कार का ड्राइवर उनसे पूछता है कि क्या बात है तुमने गाड़ी क्यों रुकाया। तभी रवि बोलता है कि उनके कार का टायर खराब हो गया है और स्टेफनी भी खराब है। तभी कार का ड्राइवर बोलता है कि मैं इसमें तुम्हारी कोई मदद नहीं कर सकता और वहां से वह चुपचाप चला जाता है।
सुदीप और रवि उदास होकर वहीं पर बैठ जाते हैं और सोचे लगते हैं कि वह वहां से किस प्रकार बाहर निकले। परंतु धीरे-धीरे अंधेरा भी हो रहा था इसलिए उनकी मुसीबत और बढ़ती जा रही थी। इस घने जंगल के बीच में रात किस प्रकार गुजारेंगे उन्हें समझ नहीं आ रहा था। फिर उन्होंने फैसला किया वह गाड़ी को वहीं छोड़कर वहां से बाहर निकल जाएंगे और अगले दिन सुबह वहां पर मकैनिक को लाकर गाड़ी ठीक करवा लेंगे।
फिर सुदीप और रवि पैदल ही आगे बढ़ने लगते हैं। सुदीप ने रवि से कहा कि अपने फोन की फ्लैश चालू कर लो ताकि हमें आगे का रास्ता दिख सके।
वे दोनों थोड़ा ही आगे बढ़े थे कि एक घर चीत्कार ने उनके पैर आगे बढ़ने से रोक दिए।
© Tanha_Mushafir

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