हमसे तो मच्छर भले
#TheWritingProject।।हमसे तो मच्छर भले।।
कुछ दिन पहले की बात है एक रामकुमार नाम के इतिहासकार थे उन्होंने अपने बच्चें को खूब इतिहास पढ़ाया उनका बच्चा भी काफी तेज था और प्रतिभाशाली के साथ साथ काफी भोला और आज्ञाकारी था कुल मिलाकर सोने पे सुहागा था।
एक दिन रामकुमार जी किसी मित्र की बुराई कर रहे थे बच्चा काफी देर से सुन रहा था और उन्हें देख रहा था रात का समय था कमरे में काफी मच्छर लग रहे थे रामकुमार जी ने बुराई करते करते आल आउट लगाया फिर मच्छर दानी लगाने लगे अचानक तभी कुछ सोचकर उनका बच्चा बोल पड़ा पिता जी हमसे तो मच्छर भले! रामकुमार जी झल्लाकर बोल पड़े चुप रहो क्या बकवास कर रहे हो ! बेटे ने भोलेपन के साथ उत्तर दिया पर पिताजी मैं सही बोल रहा हूं हमसे तो मच्छर भले रामकुमार जी ने पूछा कैसे ?
बच्चा बोला आपने मुझे अभी तक जितना इतिहास पढ़ाया है उसमें जब भी हमारे देश के राजाओं की हार हुयी तो उसका कारण केवल उनके अपने ही थे अपनों के अनेकता और उनके स्वार्थ के कारण ही हमारे देश के वीर राजाओं को पराजय का मुंह देखना पड़ा वहीं इन मच्छरों को देखिए ये जहां होते हैं साथ होते हैं और इतने छोटे होने के बावजूद जब ये एक साथ शोर करते हैं तब हम परेशान हो जाते हैं इसलिए जो गलती हमारे पूर्वजों ने की थी वहीं गलती आप भी कर रहे हैं ।
इसलिए कह रहा हूं -- हमसे तो मच्छर भले !
रामकुमार जी आवाक अपने बच्चें को देख रहे थे नि:शब्द होकर अपने कार्यों पर पछता रहे थे...........
लेखक---- अरुण कुमार शुक्ल
कुछ दिन पहले की बात है एक रामकुमार नाम के इतिहासकार थे उन्होंने अपने बच्चें को खूब इतिहास पढ़ाया उनका बच्चा भी काफी तेज था और प्रतिभाशाली के साथ साथ काफी भोला और आज्ञाकारी था कुल मिलाकर सोने पे सुहागा था।
एक दिन रामकुमार जी किसी मित्र की बुराई कर रहे थे बच्चा काफी देर से सुन रहा था और उन्हें देख रहा था रात का समय था कमरे में काफी मच्छर लग रहे थे रामकुमार जी ने बुराई करते करते आल आउट लगाया फिर मच्छर दानी लगाने लगे अचानक तभी कुछ सोचकर उनका बच्चा बोल पड़ा पिता जी हमसे तो मच्छर भले! रामकुमार जी झल्लाकर बोल पड़े चुप रहो क्या बकवास कर रहे हो ! बेटे ने भोलेपन के साथ उत्तर दिया पर पिताजी मैं सही बोल रहा हूं हमसे तो मच्छर भले रामकुमार जी ने पूछा कैसे ?
बच्चा बोला आपने मुझे अभी तक जितना इतिहास पढ़ाया है उसमें जब भी हमारे देश के राजाओं की हार हुयी तो उसका कारण केवल उनके अपने ही थे अपनों के अनेकता और उनके स्वार्थ के कारण ही हमारे देश के वीर राजाओं को पराजय का मुंह देखना पड़ा वहीं इन मच्छरों को देखिए ये जहां होते हैं साथ होते हैं और इतने छोटे होने के बावजूद जब ये एक साथ शोर करते हैं तब हम परेशान हो जाते हैं इसलिए जो गलती हमारे पूर्वजों ने की थी वहीं गलती आप भी कर रहे हैं ।
इसलिए कह रहा हूं -- हमसे तो मच्छर भले !
रामकुमार जी आवाक अपने बच्चें को देख रहे थे नि:शब्द होकर अपने कार्यों पर पछता रहे थे...........
लेखक---- अरुण कुमार शुक्ल
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