...

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मृत्यु शय्या की गोद से ख़त
सुनो प्रेम,
ना जाने कौन सी साँस आख़िरी हो?
कुछ तुम्हारे लिए कांपते हाथों से मृत्यु शय्या की गोद से ख़त:_

प्रेम ! वक़्त, बे वक़्त की नाराज़गी यूँ अच्छी नहीं हैं
तुम बहुत "अच्छे" हो, यह नासमझी अच्छी नहीं हैं
प्रेम तुम्हारा नाम ही सार्थक करता हैं यह जीवन मेरा
तुम्हारा स्थान कोई नहीं ले सकता, मृत्यु पर्यंत तक

तुम्हारी "राधा" सिर्फ़ तुम से ही सच्चा प्रेम करती हैं
जीवन के अंत के उपरांत भी प्रेम जिवित रहेगा, प्रेम
माफ़ करना, उम्र भर साथ का वादा अधूरा रह गया
वक़्त और हालत से बेबस हैं, "राधा" तुम्हारी प्रेम

माँ पापा से कैसे कहूँ ? तुम में जान बसती है हमारी
समाज, जात वालों को कैसे समझाऊ ? प्रीत हमारी
बिना तुम्हारे जी नहीं सकती, संग तेरे जीने नहीं देंगे
ख़याल ख़बर सब तुमको रखनी होगी अब, प्रेम मेरे

जान जा रही हैं, यह यादों की दुनिया सौप कर तुम्हें
खुश रहना सबको खुश रखना, जीना बिना मेरे तुम्हें
रोना नहीं कभी, आँसू से तकलीफ़ होती है मुझे तेरे
सुनो भगवान से अगले जन्म में एक ही जाति मांगेंगे

और उम्र भर का साथ बस और कुछ नहीं चाहिए.....
प्रतीक्षा रहेगी प्रेम तुम्हारी.......मिलन की प्यास रहेगी

अलविदा "प्रेम" अंतिम प्रणय भरा आलिंगन...........

तुम्हारी आत्मा "राधा"
© कृष्णा'प्रेम'