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बूढ़ी अम्मा भाग ८
डॉक्टर की बातें सुन सौभ्य हैरान था वो अम्मा के
पास गया तो अम्मा उसके गले लग रोने लगीं।
शायद डॉक्टर की बातें उन्होंने सुन लीं थी।
सौभ्य ने कारण पूछना जरूरी न समझा।
कुछ बातें अब उसकी थोड़ी थोड़ी समझ में आने लगी थीं।
सौभ्य मन में सोच रहा था पता नही किस परिस्थितियों से गुजरना पड़ा होगा इन्हें तब जाकर
इन्होंने ऐसा कदम उठाया होगा।
सौभ्य ने माँ से पूछा क्या आपके स्वस्थ होने की खुशी मैं आपके परिवार वालों को दे दूँ।
माँ ने साफ मना कर दिया।
माँ ने सौभ्य से कहा बेटा तुम्हे देखकर एक प्रश्न मेरे
दिमाग में निरंतर चलता रहता है।
तुम्हारा मेरा रिश्ता क्या है?
सौभ्य कहने लगे माँ तुम भी बड़ी अजीब हो बेटा भी कहती हो ।पराया बना कर प्रश्न पूछ लेती हो।
बेर वाली अम्मा .. नहीं बेटा ऐसा इसलिए पूछ रही थी,क्योंकि मुझे लगता है हमारा सिर्फ इस जन्म का रिश्ता नहीं है।शायद पूर्व जन्म का भी कोई रिश्ता था तभी तुमसे मुलाकात हुई।
सौभ्य हँसने लगा अच्छा माँ अब ये भी बता दो
आप कब से हमें पहचानने लगीं।
अम्मा जिस दिन कोयली तुम्हारे घर आई थी।
तबसे ही मैं थोड़ा थोड़ा पहचानने व बोलने लगी थी।
सौभ्य .. फिर आपने बताया क्यों नहीं।
अम्मा ..मैं थोड़े दिन और तुम्हारे साथ बिताना चाहती थी।
लेकिन अफसोस जैसा चाहती थी वैसा कु छ भी
तो नहीं हुआ।
अम्मा दुखी सी दिखीं कहने लगीं अच्छा चलो
अब घर नहीं पहुँचाओगे क्या ?
सौभ्य लेकिन अम्मा कितने दिन खामोश रहोगी।
आज नहीं तो कल आपको अपनी परिस्थितियों का
खुद ही सामना करना होगा।
© Manju Pandey Choubey