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सफ़रनामा - ब्रह्म कमल…
सफ़रनामा- भाजपा का ब्रह्म कमल

Saussurea obvallata यानी की ब्रह्म कमल

बीते दिनों स्पिती वैली में ट्रैकिंग पर था, लक्ष्य था chau chau kang Linda व kanamo peak के बेस कैंप तक चढ़ाई करना जिनकी उंचाई समुद्र तल से 16,505ft याने 5031 mtr के समकक्ष है।

हम अपने टूअर के अंतिम पड़ाव पर थे, उस दिन हमें कानामो चोटी ( 6118mtr) के बेस कैंप तक ट्रैक करना था।

रात का समय था हम लोग अपने डाइनिंग टेंट के भीतर भोजन करते हुए अपनी अगली सुबह के ट्रैक रूट व उस पर मिलनेवाली झील, खाई व वनस्पतियों के बारे में चर्चा कर रहे थे, चर्चा में मेरे साथी फ़्रांसीसी पर्यटक व लोकल ट्रैकर भाई छेरिंग आंगुदी शामिल थे।

बात निकली तो मालूम चला कि यहाँ 4900mtr की उंचाई के बाद ब्रह्म कमल खिलता है, ब्रह्म कमल का नाम सुनते ही पुष्कर धामी व मोदी जी की नयी नवेली टोपी ऑंखों के सामने नाचने लगी।

तय हुआ कि अल-सुबह ही हम लोग ट्रैकिंग पर निकल लेंगे।

लगभग तीन घंटे के ट्रैक के बाद हम लोग 4900mtr ( लगभग 16,000ft ) की उंचाई पर थे। अब रास्ते में लेंचू के पौधे मिलने लगे थे।

लेंचू ..एक लाल फूल बाले पहाड़ी पौधा होता है जिनके पत्तों के डंठल का स्वाद हमारे यहाँ मिलने वाले करौंदे के फल के समान खट्टा मीठा सा होता है, सनद रहे पहाड़ों पर रहने वालों के लिए यह औषधिय गुणों से परिपूर्ण, शरीर में जलापूर्ति करने वाला एवं पाचन तंत्र को नियंत्रित रखने में सहायक जीवन रक्षक पादप माना जाता है।

ख़ैर अभी कुछ दूर उपर चले ही थे कि पहाड़ी पर कुछ उंचाई पर सफ़ेद-हरे रंग वाले पौधे नज़र आने लगे, छेरिंग भाई ने पौधे पर हमारा ध्यानाकर्षण करवाते हुए अवगत करवाया की यही वो सर्वमान्य ब्रह्म कमल है जिसकी तलाश में हम अधीर हुए जा रहे थे।

किसी जंगली पौधे सा नज़र आने वाला ब्रह्म कमल वाक़ई में अन्य कमलों से बिलकुल अलग था, यह पानी के बजाय ज़मीन पर उगा हुआ शांत व शालीन नज़र आ रहा था।

सरल शब्दों में कहें तो कमल और ब्रह्म कमल में ज़मीन आसमान का फ़र्क़ होता है। सम्भवतया यही गुण इसे अपनी श्रेणी में ख़ास और अद्भुत बनाता है, ख़ैर मौक़े का लाभ उठाते हुए हमने ब्रह्म कमल की कुछ तस्वीरें खींची और अपने ट्रैक पर आगे बढ़ गये।

अब ट्रैक समाप्त हो चूका था, फ़ुरसत के पल निकलने लगे थे सो हमने गुगल बाबा की मदद से अपने द्वारा सहेजी गई ब्रह्म कमल की तस्वीरों पर पड़ताल चालू की और इसके बारे में अतिरिक्त जानकारी जुटाना चालू किया।

तलाश करने पर मालूम चला कि इस ब्रह्म कमल का वैज्ञानिक नाम सासू-रा-बेलबूटा है, oops शायद गलती से mistake हो गई मोदी जी तो अखंड कुंवारे हैं …ओह हाँ, याद आया इसका नाम साउसुरिया ओवालाटा Saussurea obvallata है, जो की उत्तराखंड का राज्य पुष्प भी है।

ब्रह्म कमल का पुष्प देर रात 9 बजे से मध्य रात्रि 12 बजे के दरम्यान ही खिलता है, फूल खिलने का समय व स्थान दोनों ही कठिन परिस्थितियों वाले हैं इसीलिए इसके पूर्ण पुष्प के दर्शन लगभग दुष्कर माने जाते हैं।

ब्रह्म कमल के पुष्प जुलाई से सितंबर के मध्य ही खिलते है एवं पुराणों में इनका बहुत महत्व बताया गया है।

उत्तराखंड के ग्लेशियरों के पास यह ब्रह्म कमल बहुतायत मात्रा में होता है। केदारनाथ से दो किलोमीटर उपर वासुकि ताल के पास ब्रह्म कमल नामक तीर्थ है जहाँ पर ब्रह्म कमल सरलता से मिल जाता है जिसके चलते बाबा केदारनाथ के चरणों में भी यही ब्रह्म कमल विशेष रूप से अर्पित किया जाता है।

ब्रह्म कमल जितना अद्भुत है उतना ही ओषधिय गुण वाला भी है। सम्भवतया इन्हीं ओषधिय व सात्विक गुणों के चलते यह ब्रह्म कमल भाजपा के नियमित कमल का स्थान लेता नज़र आ रहा है, संभव है कि आगामी चुनावों में भाजपा इसी ब्रह्म कमल की मदद से विरोधी दलों को उपचारित करने का मानस बना रही है।

ब्रह्म कमल भाजपा को कितना लाभ दिला पायेगा यह तो फ़िलहाल भविष्य के गर्भ में छुपा है तब के लिए आप ब्रह्म कमल की तस्वीर के दर्शन कर स्वयं को कृतार्थ करें।

सावन का पवित्र मास चल रहा है और शिव के प्रिय ब्रह्म कमल की तस्वीर आपके समक्ष है….शारदा तिलक ग्रंथ कहता है की..

‘देवस्य मस्तकं कुर्यात्कुसुमोपहितं सदा’…

यानी की देवों का मस्तक सदैव पुष्पों से सुशोभित रहना चाहिए। आप अपने देवों पर पुष्पांजलि अर्पित करते रहें यह आपका भाग्योदय करता है।

सावन के पवित्र मास का लाभ उठाएँ, शिव के शीर्ष पर ब्रह्म कमल ना सही अपने आस-पास उपलब्ध पुष्प अर्पित कर उनका वंदन करें।

आज के लिए इतना ही।
जय बाबा केदारनाथ
जय हो ब्रह्म कमल की

✍️विक्की सिंह सपोटरा

शीर्षक- भाजपा का ब्रह्म कमल
स्थान- कानामो शिखर, स्पिती वैली
समय- जुलाई 2022

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