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जंगल 3
भाग 2 में आपने पढ़ा कि दोनों दोस्त गाड़ी में घर की तरफ निकल चुके हैं , दोनों ने पी भी ली है । सुदीप जो अभी तक घबराया हुआ था अब नशे में अपनी घबराहट भूल गया है।घर की तरफ चलते हुए दोनों गाना भी गुन गुना रहे हैं धीमे धीमे स्वर में ,रवि जो गाड़ी चला रहा है कुछ ज्यादा नशे में लग रहा है जिसकी वजह से वो सीधे रोड़ में तो ब्रेक मार रहा है और मोड़ पर गाड़ी की स्पीड बढ़ा रहा है।और उधर सुदीप भी अब पूरे मूड में आ चुका है ,अब वो गाड़ी चलाने का ज्ञान रवि को देने लगता है और खुद गाड़ी चलाने की जिद्द करने लगता है।
सुदीप कहता है ,यार रवि तुझे ज्यादा चढ़ गई है मैं गाड़ी चलाता हूं अब ,उधर रवि बोलता है तूने आज तक साइकिल भी चलाई है जो गाड़ी चलाने की बात कर रहा है।सुदीप को ये बात दिल पर लग जाती है और वो जबरदस्ती गाड़ी के स्टीयरिंग को छीनने लगता है,रवि उसका विरोध करने लगता है ,इस अफरा तफरी में रवि से अपना नियंत्रण खो बैठता है और गाड़ी रोड़ के एक किनारे से सीधा दूसरे किनारे में जा कर टकरा जाती है । सारा माहौल शांत हो गया अभी अभी कुछ समय पहले जिस गाड़ी का टायर इतने जतन के बाद ठीक कराया था अब उसकी हालत शायद और खराब हो गई है, दोनों को टकर का झटका इतनी ज़ोर से लगा की बहुत देर तक उन्हें कुछ पता ही नही चल पाया की आखिर उनके साथ हुआ क्या ? लगभग 15 मिनट बाद जब रवि थोड़ा होश में आया तो उसने महसूस किया की गाड़ी कहीं टकराने की वजह से गाड़ी रुक गई है और गाड़ी से धुंआ सा निकल रहा है ,पर रवि हिल नहीं पाया शायद उसकी वजह गाड़ी की सीट बेल्ट थी जो उसने लगाई थी ।रवि ने अपनी बगल में देखा तो सुदीप अभी भी होश में नहीं था रवि उसे पुकारता है सुदीप तू ठीक है ,सुदीप की तरफ से कोई जवाब नही आया ।रवि की धड़कने एक दम से तेज़ हो गई ,उसके दिमाग में एक ही ख्याल आता है की कहीं सुदीप को कुछ हो तो नहीं गया , रवि भगवान का नाम लेकर कहता है ,"प्रभु सुदीप को कुछ हो न जाए इतनी मेहरबानी करदे भगवान।"रवि जैसे तैसे अपनी सीट से उतर कर सुदीप की तरफ जाता है और उसे गाड़ी से बाहर निकालने की कोशिश करता है।सुदीप जो की थोड़ा भारी शरीर वाला है रवि उसे उतारने में खुद को सक्षम नहीं पा रहा,परंतु बड़ी मुशक्त करने के बाद रवि उसे गाड़ी से उतार कर नीचे रोड़ में लेटा देता है और उसे उठाने की कोशिश करता है,रवि उसकी सांसें चेक करता है,सांसें तो चल रहीं हैं,रवि भगवान का शुक्रिया अदा करते हुए कहता है।फिर रवि का ध्यान गाड़ी की तरफ जाता है ,वो देखता है की गाड़ी का सामने वाला हिस्सा बहुत ज्यादा क्षतिग्रस्त हो चुका है और गाड़ी अब चलने की हालत में भी नहीं है, रवि अपने आस पास की जगह पहचानने की कोशिश करता है और उसे पता चलता है की वे लोग घर से थोड़े दूर ही हैं । रवि ये सब देख के घबरा जाता है क्योंकि आज से पहले उसके साथ कभी ये सब घटा ही नहीं था और उसकी समझ में नहीं आ रहा था की वो क्या करे और क्या नहीं?
रवि यूं ही रोड़ पर बैठ गया और कभी गाड़ी देखता और कभी बेहोश सुदीप को, थोड़ी देर बाद उसने हिम्मत करके अपने घर वालों को फोन करके बुला लिया और उनको सारी बात बता दी। कुछ ही देर में रवि के घर से उसके माता पिता दोनों ही आ गए और वे लोग उन दोनो की हालत देख कर हैरान हो गए ,रवि की माता तो रोने ही लग गई और सुदीप अभी भी होश में नहीं आया था ।रवि के पिता ने तुरंत एंबुलेंस को बुलाया और दोनों को हॉस्पिटल उपचार के लिए ले गए,साथ ही साथ वे खुद को भी कोस रहे थे कि ये सारी गलती उनकी ही है, इकलौता बेटा सोच के कभी किसी चीज़ की कमी नहीं होने दी जो मांगा उससे ज्यादा ही दिया,ये मेरे ही लाड़ प्यार का नतीजा है की आज जान पर बन आई है। डॉक्टर उन दोनों की हालत का मुलायजा लेने के बाद कहते हैं की रवि को ज्यादा चोट नहीं आई है और सुदीप को कुछ अंदरूनी चोटे आईं हैं और उसका एक बाजू फ्रैक्चर हो गया है पर डरने की बात नहीं है ट्रीटमेंट करने से वो भी ठीक हो जाएगा।
रवि के पिता ने हॉस्पिटल की कुछ ज़रूरी फॉरमेल्टी पूरी की और फिर सुदीप के घर फोन करके उसके पिता को सुदीप की जानकारी दी।इन सब चीजों में रात निकल जाती है और अब बाहर अंधेरा हटने लगता है और सुबह होने लग गई है ,रवि मां अभी भी रो ही रही है ये सोच के ज्यादा रोने लगती है की एक ही बेटा है अगर उसे आज कुछ हो जाता तो उनका क्या होता?और तुरंत वे दोनों रवि को दी गई छूट पर अंकुश लगाने का फैसला लेते हैं और जो जरूरी भी था।



असल में ये जो परिस्थिति है वो हर घर में हो गई है,आज कल लोगों में दिखावे का शौक चढ़ा है, लोग इतना मॉडर्न हो गए है की वे बच्चों को सही गलत का बोध नहीं करा पा रहे और न ही खुद समझ पा रहे हैं।इसलिए हमें चाहिए कि,यदि हम आने वाले कल में अपने बच्चों को और अपने समाज को सुरक्षित और सुदृढ़ बनाना चाहते हैं तो मां बाप को अपने बच्चों को सही गलत और सामाजिक और व्यवहारिक ज्ञान से अवगत कराना ही होगा।हम जितने मर्जी नियम कानून बना लें लेकिन यदि उन नियमों और कानून से अवगत नहीं होंगे तो उनका कोई महत्व नहीं रह जाएगा।

धन्यवाद।
@Kaku007
© Kaku Pahari