...

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बिन शब्दों का प्यार
भाग 1

राजेश और नीरा की नयी नयी शादी हुई थी पर
राजेश को ऑफिस के काम से बाहर जाना पड़ा

नीरा को अब घर मे कुछ अच्छा नहीं लगता था
दोनों एक दूसरे को बहुत याद करते
राजेश को लगा जैसे उसे कुछ नयी चीज मिली पर क्या ये नहीं पता था

राजेश उस समय ट्रेन मे था पर नीरा को पूछा
तुम ठीक तो हो ना
हाँ आपने याद कर लिया अब ठीक हूं

मैं ट्रेन मे से बात कर रहा हूं
तभी आप बोल रहे तो खट खट की आवाज आ रही

इसलिए बिन मोबाइल भी बात हो पा रही है
ये आज ही पता पड़ा की अब अपन हृदय से भी बात कर सकते

नीरा ये जानकर खुश हुई ये जानने के लिए सवाल करा की क्या ये अपने दोनों के लिए या मैं किसी से भी बात कर सकती

किसी से भी कर सकती हो पर तुम चाहोगी उसी से बात कर पाओगी
इसका क्या मतलब हुआ ?

यानी तुम्हें लगे भले अजनबी हो अपनापन लगे उनसे बात कर सकती पर

मैं समझ गयी एहसास होगा तभी मैं बात कर पाऊँगी

हाँ यही मेरा कहना था

थोड़ी देर बाद दोनों अपने अपने काम मे लग गए

नीरा को जवाब मिल चुका था
वो चाहे उससे बात कर सकती

माँ को याद करा
थोड़ी देर बाद माँ की आवाज आयी
बेटी क्या हुआ तुझे

नीरा इधर उधर देखने लगी
पर कोई दिखा नहीं फिर से आवाज आयी



बेटी इधर उधर कहां देख रही अपनों हृदय की आवाज सुन मैं तो तेरे यकीन मे हूं

ये सुनकर नीरा खुश हो गयी और अच्छा भी लगा की माँ मेरे यकीन मे है


आगे क्या होगा पता पड़ेगा
अगले भाग मे