...

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उसका कुसूर क्या है.....
कुसूर.....

खाली आंखों से छत को देखते हुए
अचानक ही अंजू की आंख भर आयी
कितनी बेबस हो चुकी थी वो आज सहारे
के लिये उसे किसी का हाथ नहीं वॉकर
पकड़ा दिया गया था। 7 साल से बिस्तर पर
वो बीमारी से जंग लड़ रही थी।सर्वाइकल
स्पॉन्डिलाइटिस की वजह से चक्कर और
चलने से लाचार थी। पूरा समय बस लेटे लेटे
मोबाइल पर अपने को व्यस्त रखती थी। पूरा
परिवार साथ होने के बावजूद वो बिल्कुल अकेली
थी ।सभी अपने कामों में व्यस्त रहते थे।परिवार में
सब के लिए उसने अपना पूरा जीवन समर्पित कर
दिया था।
20 साल से दवाइयों पर चल रही थी फिर भी कभी
कोई उसके चेहरे से उसकी तकलीफ नहीं भांप सकता
था बहुत खुशमिजाज थी। कठिनाइयों में भी जीवन कैसे
जीना चाहिए इसकी वो एक मिसाल थी।डॉक्टर भी
उसके हौसलों से दंग रहते थे। मेडिकल रिपोर्ट के अनुसार
उसको कभी भी पैरालिसिस हो सकता है।उसको कभी
किसी से कोई शिकायत नहीं थी। उसने अपनी अंतिम इच्छा अपनी आंखें दान करने को कहा है।
*कहानी का सार यही है अपने घर में बीमार व्यक्ति की
देखभाल जरूर करें उनको अकेलापन ना महसूस होने दें।*************** अंजली ***********