...

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बस इतना सा साथ 72
( नेहा घर की तरफ जा रही होती है, कि तभी नेहा की मम्मी का फोन आता है। )
नेहा - हाँ मम्मी आ रही हूँ।
नेहा की मम्मी - कहाँ आ रही है।
नेहा- घर और कहाँ?
नेहा की मम्मी - गौरव ने तुझे मैसेज किया था,
देखा नहीं।
नेहा - अब क्या मैसेज किया।
नेहा की मम्मी - ( गौरव से ) मैंने कहा था ना
मैसेज मत कर कॉल कर दे । इसने सिर्फ
बच्चों के ही मैसेज देखने होते हैं। उनके
मैसेज आए तो निवाला भी मुँह में नहीं
जाता इसके।
( नेहा इतने में मैसेज देख लेती है। )
नेहा - देख लिया माता रानी, पर अभी इंस्टिट्यूट
में क्या करोगे ।
नेहा की मम्मी - तू पहुँच, फिर बताती हूँ।
नेहा - चाबी नहीं है मेरे पास , लेते आना ।
नेहा की मम्मी - चाबी क्यूँ?
नेहा - तो क्या इंस्टिट्यूट कोई मंदिर है जो बाहर
से ही दर्शन कर लोगे।
नेहा की मम्मी - भगवान के नाम पर मज़ाक नहीं
करते । इंस्टिट्यूट नहीं जाना है।
नेहा - फिर ?
नेहा की मम्मी - वो इंस्टिट्यूट के बगल में जो
ज्वेलरी शॉप है ना वहाँ जाना है।
नेहा - जैन अंकल की शॉप पर ।
नेहा की मम्मी - हाँ।
नेहा - पर क्यूँ?
नेहा की मम्मी - मनीष के लिए अंगूठी लेनी है।
नेहा - पर वहीं से क्यूँ? उनकी बहन के बच्चे
पढ़ते हैं मेरे पास । पूरे ट्यूशन में पता चल
जाएगी शादी वाली बात।
नेहा की मम्मी - अरे तो पता चलनी चाहिए ,
गलत क्या है।
( तभी नेहा के फोन पर मनीष का कॉल आता है। )
नेहा - ( मनीष का कॉल देखती है , और कहती है। ) लो इन्हें भी अभी ही फोन करना है।
नेहा की मम्मी - क्या ?
नेहा - कुछ नहीं। तो आप लोग कितनी देर में आ
रहे हो।
नेहा की मम्मी - बस निकल ही रहे हैं। तू पहुँच
हम भी पहुँच रहे हैं।
नेहा - ok , पहुँचिए फिर ।
नेहा की मम्मी - हम्म ।
( फोन रख नेहा की मम्मी गौरव से कहती हैं। )
नेहा की मम्मी- चल अब , इतनी देर लगाएगा तो वो घर ही आ जाएगी।
गौरव- हाँ एक मिनट कार्ड तो लेने दो । बिना
कार्ड क्या लोगे आप ।
( उधर नेहा मनीष को फोन मिलाती है। )
मनीष - हेल्लो जी , कहाँ बिजी हो ?
नेहा - हेल्लो, जहाँ आप हो ।
मनीष - हम तो आपके ख़्यालों में बिजी हैं।
नेहा - अच्छा जी , ख़्यालों में।
मनीष - हाँ जी।
नेहा - तो क्या कहते हैं आपके ख़्याल आप से ।
मनीष - यही की इन ख़्यालों की मल्लिका तो
कुछ ज्यादा ही बिजी हैं। कॉल तो करती
ही नहीं थी अब तो मैसेज भी नहीं देखती
हैं ।
नेहा - शिकायत, मतलब आप ख़्यालों में भी
शिकायत ही करते रहते हो ।
मनीष - करते तो हम बहुत कुछ हैं, पर आप
समझते कहाँ हो ।
नेहा - ( चौंक कर ) क्या ?
मनीष - कुछ नहीं , कुछ नहीं ।
नेहा - नहीं कुछ तो बोला आपने।
मनीष - मस्त हो जाओ, कुछ खास नहीं था । वैसे
तुम बाहर हो क्या ?
नेहा - हाँ , वो मार्केट की तरफ आई थी ।
मनीष - मतलब आपकी भी शॉपिंग शुरू हो गई।
नेहा - शुरू हो गई , लगी हुई है मम्मी और आंटी ।
रोज एक लिस्ट बनाती हैं और ढेर सारा
समान लाती हैं। परसों तो भाई के साथ
गए थे । इतने कपड़े लाए हैं, मैं तो हैरान
हूँ। अभी सगाई पर इतनी शॉपिंग कर रहे
हैं तो शादी पर ना जाने क्या होगा ।
मनीष - इतना क्या खरीद रहे हो। क्या हमें नई
वार्डरोब लेनी पड़ेगी ।
नेहा - क्यूँ?
मनीष - अब आप इतने कपड़े लाओगे , तो रखने
के लिए वार्डरोब तो लेनी ही पड़ेगी ।
नेहा - ओ हेल्लो, मेरी शॉपिंग तो अभी शुरू ही
नहीं हुई है। चार - पाँच ड्रेस ली हैं बस । ये
भर- भर के सामान तो आपका और
आपके रिश्तेदारों का आ रहा है। आपकी
मम्मी जी ने लिस्ट भेजी थी ।
मनीष- मम्मी ने ?
नेहा - आपको नहीं पता ? ( फिर अपने आप से
बोलती है, तू भी क्या बात ले कर बैठ गई।
ये तो हर शादी में होता है गिफ्ट के नाम
पर या मान - तान के नाम पर । नया क्या
है, और मम्मी को पता चला तो तेरी अच्छी
खिंचाई होगी। सोच बात घुमाती है। ) इसे
छोड़ो ये बड़ों का काम है , उन्हें करने दो ।
आप बताओ आपके रिंग फिंगर की
साइज क्या है ?
मनीष- रिंग फिंगर की साइज।
नेहा - हाँ , क्यूँ आप क्या किसी और उँगली में
पहनने की चाहत रखते हो क्या ? या फिर
अंगूठे में। वैसे आज कल तो सब कुछ ट्रेंड
बन जाता है। तो क्या करें हम एक नया
ट्रेंड सेट करें।
मनीष - मतलब ?
नेहा - मतलब ये कि हम अंगूठे की रिंग्स बनवाए
तो । सोशल मीडिया पर hastag के साथ
ट्रेंड करेंगे फिर हम । वो जो आपने शॉर्ट
नेम बनाया था....
मनीष- बस बस यार इतने क्रिएटिव मत बनो।
रिंग फिंगर ही सही है । और इससे पहले
तुम कुछ और नया आइडिया सोचो मेरी
फिंगर की साइज 15 है।
नेहा - क्या आप भी , मैं तो मस्ती कर रही थी।
मस्त हो जाओ 15 नंबर की ही अंगूठी
बनवाएगे ।
मनीष - क्या बात है, तुम भी मस्त हो जाओ
बोलने लगे।
नेहा - क्या करें , अब जब नाम जुड़ गया है तो
आपका रंग तो चढ़ना ही है ।
मनीष - क्या चढ़ना है। मेरा रंग।
नेहा - ( अपने आप से, थोड़ा मुस्कुराते हुए। ये
क्या बोल दिया। पागल लड़की कुछ भी बोल रही है आज तू। )
मनीष - हेल्लो...
नेहा- हाँ, मैं बाद में बात करती हूँ। मम्मी और
भाई आ गए हैं। bye ( कहते हुए तुरंत फोन काट देती है। और बात को याद कर अपने में मुस्कुराती है। )
मनीष - अरे सुनो, हेल्लो हेल्लो...
( फिर अपने से कहता है ।) काट दिया , ये हर
बार ही ऐसा करती हैं। जैसे ही प्यारी-
सी बातें करने लगती हैं, फोन काट देती
हैं।
( नेहा बात करते-करते दुकान के पास पहुँच चुकी होती है । एक बार चारों तरफ देखती है, पर ना मम्मी दिखती हैं, ना भाई । फिर अपने आप से कहती है। )
नेहा - जैन अंकल की ही दुकान से लेनी है इन्हें
अंगूठी। अरे यार अंगूठी तो अंगूठी है
कहीं से भी लो। कौन-सा कोई स्पेशल
डिस्काउंट मिलने वाला है यहाँ।
( सोच ही रही होती है , कि मनीष का एक ऑडियो मैसेज आता है। देखती है मैसेज तो मनीष ने एक गाना भेजा होता है । )
नेहा - ( अपने आप से ) गाना ! कुछ ज्यादा ही
मूवी देखते हैं लगता। ( कहते हुए प्ले कर देती है, पर ध्यान ही नहीं देती वॉल्यूम ज्यादा है और गाना जोर से बजने लगता है। सभी नेहा की तरफ देखने लगते हैं। हडबडी में नेहा गाना बंद करती है। सिर झुकाए- झुकाए ही आँखे ऊपर उठा कर देखती है। अभी भी कुछ लोग उसकी तरफ ही देख रहे थे। मन में सोचती है, बस कोई जान पहचान वाला नहीं है फ़िलहाल वरना तो बैंड बज जानी थी। अच्छा है मैं एक दम दुकान के सामने भी नहीं खड़ी हूँ । फिर थोड़ा सा टहलते हुए आगे की तरफ जाती है और कम आवाज कर गाना सुनती है।
" मेरे रंग में रंगने वाली
परी हो या हो परियों की कहानी
या हो मेरी प्रेम कहानी
मेरे सवालों का ...."
सुन नेहा मुस्कुरा ही रही होती है कि पीछे से उसका भाई आवाज़ लगाता है।
गौरव - नेहा ....
( नेहा हडबडी में पीछे मुड़ती है , फोन गिरते- गिरते बचता है । और मम्मी और भाई की तरफ जाती है। )
नेहा की मम्मी- दुकान इधर है तू उधर कहाँ जा
रही थी ?
नेहा - जा रही थी ? जा नहीं रही थी , ( थोड़ा अटकते हुए। ) वो एक ही जगह खड़ी- खड़ी थक
गई थी, सब आते-जाते घूर रहे थे तो ऐसे
ही बस थोड़ा आगे- पीछे चल रही थी।
गौरव- तो दुकान के अंदर ही बैठ जाती।
नेहा - हाँ, ताकि सवालों में मैं नहा लेती।
नेहा की मम्मी - अब क्या गेट पर ही खड़े रहोगे,
चलो अंदर।
( नेहा गेट खोलने के लिए हाथ बढ़ाती है, कि तभी जैन अंकल के दुकान का लड़का दरवाज़ा खोलता है। )
लड़का- नमस्ते दीदी , बड़े दिनों बाद आए।
नेहा - क्या भैया, रोज तो आती हूँ।
जैन अंकल - दुकान में कहाँ आते हो।
नेहा- ( मम्मी को हाथ पकड़ अंदर लाते हुए। )
क्या अंकल सोने का भाव आपने इतना
बढ़ा दिया है ,कि उतनी बचत ही नहीं हो
पाती है।
जैन अंकल - बढ़ा भी इसीलिए है कि तुम
खरीदते नहीं हो , जिस दिन खरीदने लगेगी
अपने आप कम हो जाएगा।
( नेहा अंकल की बात पर मुस्कुराती है , और कुछ कहे इससे पहले ही नेहा की मम्मी बोल पड़ती हैं। )
नेहा की मम्मी - अब खरीदेगे , भगवान ने मौका
भी बड़े दिनों बाद दिया है।
नेहा - अंकल ये मेरी मम्मी हैं।
जैन अंकल- नमस्ते जी , कोई खुशखबरी है
क्या?
( पीछे से नेहा के भाई भी आ जाता है और अंकल को नमस्ते कहता है। )
नेहा की मम्मी - नेहा ने बताया नहीं, रिश्ता पक्का
हो गया है नेहा का । सगाई है चार दिन
बाद।
जैन अंकल- अरे वाह ये तो बड़ी खुशी की बात
है, vanshika ने भी नहीं बताया कुछ ।
नेहा की मम्मी- इसी ने कहाँ बताया है किसी को।
कहती है बच्चे चिडांएगे।
जैन अंकल- अरे पगली ये तो उनका प्यार है।
ऐसे ही दीदी नहीं कहते तुझे, मानते भी
हैं।
( नेहा मन में सोचती है । )
नेहा - पता है अंकल, जान खा लेनी है उन्होंने
मेरी पता चला तो ।
जैन अंकल- फिर शादी के बाद पढाएगी ?
नेहा - हाँ अंकल , यहीं तो जाना है, शास्त्री नगर।
जैन अंकल - ये बढ़िया है, स्कूटी ले लेना पंद्रह
मिनट में पहुँच जाएगी। दिल खुश कर
दिया भई आपने। अब बताओ क्या
दिखाऊँ मैं आपको।
नेहा की मम्मी - आज तो बस सगाई की अंगूठी
लेने आए हैं। फिर धीरे- धीरे लेते हैं बाकी।
जैन अंकल- कोई नहीं जी , अपनी ही दुकान
समझो । ( फिर डिजाइन निकालने लगते
हैं। नेहा फोन में देखती है मनीष का मैसेज आया हुआ है। एक बार चारों तरफ देखती है सब अंगूठी देखने में बिजी हैं , मैसेज चेक करती है ।)
मनीष - मेरे सवालों का जवाब दो।
नेहा - कौन से सवाल?
( मनीष मैसेज देखता है , और खुद से कहता है। )
मनीष - अच्छा जी कौन से सवाल । ( फिर मैसेज करता है । )
🙄
( नेहा मैसेज देख मुस्कुराती है रिप्लाई करती है। )
नेहा - अच्छा वो सुमन और प्रेम वाले सवाल।
( फिर मम्मी , भाई और अंकल की तरफ देखती है। )
आगे का पता नहीं पर अभी तो अपनों की
प्यारी, मम्मी पापा की दुलारी और मेरे
बच्चों की नेहा दीदी हूँ।
( फिर थोड़ा रुक के एक और मैसेज करती है। )
और जल्द ही बनने वाली हूँ आपकी जीवन साथी, mrs neha manish singh.
जैन अंकल- बोल नेहा क्या किया जाए ।
( नेहा अपने आप से । )
नेहा - नेहा को तो पता ही नहीं किस बारे में बात
हो रही है और आप उससे पूछ रहे हो क्या
किया जाए।
जैन अंकल- एक इस से भी बढ़िया चल रहा है ,
आज कल । वो नाम का पहला अक्षर
लिखवाते हैं ना , मैं दिखाता हूँ ( फिर पीछे से एक अंगूठी निकाल कर दिखाते हैं जिस पर s लिखा था । )
ऐसे ही अंगूठी बन जाएगी उस पर नेहा
का N और लड़के का ...
नेहा की मम्मी- मनीष।
जैन अंकल - हाँ तो उसका M और नेहा का N
लिखवा के बनवा लीजिए, अच्छा
लगेगा।
नेहा - ( मन में सोचती है। ) वो होते तो कुछ और
ही लिखवाते । क्या बोला था उन्होंने? ले
मुझे तो याद ही नहीं। ( सोच मैसेज देखने ही वाली होती है कि मम्मी कहती है। )
नेहा की मम्मी- ( नेहा से ) मनीष ने अँगूठी की
साइज बताई थी तुझे।
नेहा - हाँ, 15
( जैन अंकल स्लिप पर लिखते हुए। )
जैन अंकल- 15 नंबर , और कब तक चाहिए।
नेहा की मम्मी- कब तक नहीं जल्द से जल्द
चाहिए। 24 की तो सगाई है।
जैन अंकल- 24 , मतलब इस संडे ही । क्या
बहन जी आपने तो कुछ भी वक़्त नहीं
दिया । चलो कोई नहीं अब सबसे पहले
यही करवाता हूँ।
नेहा की मम्मी - तो कब तक हो जाएगी तैयार ।
जैन अंकल - जल्दी से जल्दी करे तो भी 23 से
पहले मुश्किल है।
नेहा की मम्मी - 23 तक पक्का कर दीजिएगा ।
उससे देर ना हो।
जैन अंकल- अपनी बच्ची की सगाई है देर कैसे
कर सकते हैं।
नेहा की मम्मी- ( गौरव से ) पेमेंट कर दे बेटा।
जैन अंकल- अरे पहले अँगूठी तो बन कर आने
दीजिए।
नेहा की मम्मी- वो भी आ जाएगी, बस साथ के
साथ हिसाब हो जाए तो ठीक रहता है। ( उठने लगती हैं पर फिर वापिस बैठ जाती हैं। )
अरे ज़रा इसकी भी अँगूठी का नाप लेकर
बता दीजिए, उन्हें भी तो नाप बताना है।
जैन अंकल- ये तो सबसे पहले होना चाहिए था। ( फिर नेहा की उँगली का नाप लेते हैं। )
12 नंबर है ।
नेहा की मम्मी- ( नेहा से ) याद रखना। ( फिर जैन अंकल से ) मैं तो इसे कितने दिन से कह रही
हूँ , आते -जाते अंकल की दुकान से नाप
ले आ । दो मिनट का काम है ।
( नेहा मम्मी को आँखों से कहने की कोशिश करती है अब बस भी करो ।)
देखो, अब इसकी आँखें देखो। इसका
बस चले तो बच्चों की तरह यहाँ मेरी भी
क्लास लगा दे ।
नेहा - क्लास तो आप मेरी लगा रहे हो।
( सब हँसते हैं, और जब तक बिल वगैरह बनता है बातों में लग जाते हैं। नेहा मनीष को मैसेज करने के लिए फोन निकालती है। पहले से ही मनीष का मैसेज आया हुआ होता है। )
मनीष - that's like my wifey
would be wifey
🥰
नेहा - ( अपने आप से ) ये वुड बी हसबैंड तो
बावले हुए जा रहे हैं। ( फिर मैसेज करती है। )
💍फाइनल हो गई।
12 मेरी रिंग फिंगर का साईज ।
( फोन बंद करती इससे पहले रिप्लाई आ जाता है। )
मनीष - रिंग की फोटो तो भेजो।
नेहा - customised है।
मनीष - तो कुछ तो बताओ ।
नेहा- सबप्राइज ।
मनीष- 😔
नेहा - ( मुस्कुराते हुए, चारों तरफ देखती है कि कोई देख तो नहीं रहा। फिर मेसेज करती है। )
bye , घर पहुँच कर बात करती हूँ।
मनीष - no..
😔
( नेहा देखती है मैसेज पर छोड़ देती है। पेमेंट वगैरह भी हो गई थी। अंकल को थैंक्स बोल नेहा, नेहा की मम्मी और गौरव बाहर निकलते हैं। )
नेहा की मम्मी- ( गौरव से ) तू जा , मैं नेहा के
साथ थोड़ी देर में आ जाऊँगी।
नेहा - अब कहाँ?
नेहा की मम्मी - तू चल मैं बताती हूँ। ( गौरव से )
तू जा ।
नेहा - एक मिनट, कहाँ निकल रही है ये सवारी
इतना तो बताओ ।
नेहा की मम्मी - शिला ने पार्लर में बात की है,
एक बार वहाँ भी चलना है।
नेहा - पार्लर।
नेहा की मम्मी - हाँ जी, जहाँ नॉर्मल लड़कियाँ
हर महीने जाती हैं।
नेहा - हाँ तो , मैं एडवांस हूँ। मेरा पार्लर घर आ
जाता है।
नेह की मम्मी - मतलब?
नेहा - प्रशांत की मम्मी है ना , उनको बोल दूँगी
वो तैयार कर देंगी।
नेहा की मम्मी- पक्का।
नेहा - एक दम पक्का। अब तो घर चलो माता
रानी।
नेहा की रानी- मन तो नहीं कर रहा तेरी बात
मानने का , पर ..
नेहा - पर मान रही हो। ( गौरव से ) चल भाई तू
ले जा मम्मी को मैं अपनी ग्यारह नंबर की
गाड़ी पर आती हूँ।
( नेहा की मम्मी और गौरव बाइक पर निकल जाती हैं। नेहा भी चलते फोन मिलाती है , और अपने आप से कहती है। )
नेहा- चल बेटा पहले प्रशांत की मम्मी को फोन
कर दे , अगर आंटी फ्री नहीं हुई तो मम्मी
मेरी पिटाई कर देंगी। ( कहते हुए फोन
मिलाती है, पर फोन तो लगातार बिजी ही आ रहा होता है। ) ले अब आंटी अगर फ्री नहीं हुई
तो मम्मी फ्री में खिंचाई कर देगी।
( कहते हुए फिर से ट्राई करती है, पर कोई फायदा नहीं। )

........ continued to next part ......

© nehaa