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मेरे घर की डरावनी घटना
लोग वे लोग जिन्हें पता है कि आत्मा नहीं होती भूत नहीं होते डरावनी आत्मा नहीं होती पर मुझे पता है मेरे घर की सच्ची घटना

मैं और मेरी बहन
1 दिन की बात है जब मैं और मेरी बहन हम बुआ के लड़के की शादी में गए थे बारात गांव में गई थी और वहां के चौराहे में मेरी बहन का पैर पड़ गया उसके अगले दिन से ही वह बीमार रहने लगी उसे सिर दर्द होने लगा, भूख बहुत ज्यादा लगना, चक्कर आन, कमजोरी महसूस होना ऐसे होते होते 3 साल बीत गई एक दिन वह बेहोश हो गई हम उसको डॉक्टर के पास लेकर गई डॉक्टर ने पूरी जांच करके बताया कि कि उसकी रिपोर्ट नॉर्मल है 1 महीने में एक दो बार ऐसे ही बेहोश होती और अपने आप ठीक हो जाती हमें पास के लोगों ने बोला कि उसे भेरुजी के पास लेकर जाओ लेकिन कुछ बात नहीं हुई उसे वहां पर भरने लगा हम उसे बहुत ज्यादा डरते लेकिन वहां पर भी कुछ बात नहीं बनी फिर एक दिन हम उसे संत बाबा के लेकर गई वहां पर भरे हुए संत बाबा ने कहा कि उसे 5 दिन के लिए ही रहने दें तभी एक दिन उसे बहुत तेज भरने लगा क्योंकि वहां पर जोत करवाई थी उसने गर्म त्रिशूल पर हाथ रख दिया और बिजली के तारों को भी छू लिया फिर भी उसे कुछ एहसास नहीं हुआ वह आत्मा उसे मारना चाहती थी वह जब भी आती हमें डराती और धमकी देती कि में मार दूंगी मैं इसे मार दूंगी हमें बहुत डर लगता वह कभी बिजली के तारों को तोड़ देती कभी गर्म आग में हाथ देती कभी भाग जाती हमें बहुत डर लग रहा था तो हम उसे घर ले आए बहुत साल हो गए उसका कोई इलाज नहीं था मेरी बहन मेरे पास ही सोया करती थी वह जब भी मेरे पास होती मुझे बहुत डर लगता है क्योंकि उसमें आत्मा थी बहुत डरावनी उसमें जब भी आत्मा आती तो वह हमें बहुत डरती मारने को भागती मैं उसके पास अकेली सोया करती थी मुझे बहुत डर लगता एक दिन इसको रात को ही भरने लग गया जब भी उसके पास हनुमान चालीसा बोलते हैं वह कांपने लग जाती उसके हाथ को पकड़ के हनुमान चालीसा बोलते वह कांप जाती डर जाती हाथ को छुड़ाने की कोशिश करती लोगों को मारने के लिए भागती। मुझे बहुत डर लगता बहुत डर उसको 1 साल तक तो खाट के बांध के सुलाया गया 1 दिन तो वह खाट को लेकर ही भगने लगी मेरे बहन में इतनी शक्ति नहीं थी लेकिन जब उसमें आत्मा थी तो उसमें बहुत शक्ति होती उसमें इतनी शक्ति कि वह कुछ भी कर सकती थी कुछ भी वह बिजली के तारों के हाथ लगा सकती आग में कूद जाती हमें बहुत डर लगता एक दिन उसको रात में भी भर रहा था मुझे बहुत डर लगा इसलिए मैं मम्मी के पास जाकर सो गई हमें बहुत डर लग रहा था बहुत डर एक दिन लोगों ने हमें कहा की उसे महाराज के पास लेकर जाओ क्योंकि वह आत्माओं को मोक्ष दिलाते है हम ने वही किया महाराज को घर लेकर आए और उसकी हालत के बारे में बताएं आत्मा महाराज को बोलती थी यह क्या कर लेगा मेरा यह मेरा कुछ भी नहीं बिगाड़ सकता वह बहुत हंसती और डराती लेकिन महाराज जी डरे नहीं उसने उस आत्मा से बात की और उसे मनाया कि मैं तुझे मोक्ष दिलाऊंगा वह मान गई क्योंकि एक आत्मा को मोक्ष दिलाना बहुत जरूरी होता है उस दिन से उसने हमें परेशान नहीं किया महाराज जी मेरी बहन को पुष्कर लेकर गई और उस आत्मा की आज्ञा लेकर उसका मोक्ष करवाया तब से लेकर आज तक वह बिल्कुल ठीक है ना उसे भरता और ना ही वह परेशान करती ना ही वह बेहोश होती और ना ही वह हमें डराती वह बिल्कुल ठीक हो चुकी थी मैं शुक्रगुजार हूं महाराज जी का की उन्होंने मेरी बहन को ठीक किया आज भी मैं उन दिनों के बारे में सोचती हूं तो मुझे बहुत डर लगता है बहुत डर

यह थी मेरे घर की एक सच्ची घटना