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जीवन क्या है..........
बीस साल की अवस्था में जीवन जीने पढ़ाई और लोगो पर भरोसा करने में गुजर जाता है
तीस साल की अवस्था में प्यार परिवार नौकरी इसके अलावा कोई और विकल्प नहीं रहता
चालीस साल की अवस्था में "उच्च शिक्षित" और "अल्प शिक्षित" एक जैसे ही होते हैं क्योंकि अब कहीं इंटरव्यू नहीं देना, डिग्री नहीं दिखानी,
पचास साल की अवस्था में "रूप" और "कुरूप" एक जैसे ही होते हैं। आप कितने ही सुन्दर क्यों न हों झुर्रियां, आँखों के नीचे के डार्क सर्कल छुपाये नहीं छुपते,,
फिर साठ से सत्तर साल की अवस्था में "बड़ा घर" और "छोटा घर" एक जैसे ही होते हैं। (बीमारियाँ और खालीपन आपको एक जगह बैठे रहने पर मजबूर कर देता है, और आप छोटी जगह में भी गुज़ारा कर सकते हैं).
और इसके बाद के साल की अवस्था में "सोना" और "जागना" एक जैसे ही होते हैं। (जागने के बावजूद भी आपको नहीं पता कि क्या करना है).
इसलिए
जीवन को सामान्य रुप में ही लें क्योंकि जीवन में रहस्य नहीं हैं जिन्हें आप सुलझाते फिरें.
आगे चल कर एक दिन सब की यही स्थिति होनी है, यही जीवन है
इसलिए जीवन को सामान्य से जिए क्यों की चैन से जीने के लिए किसी का होना या नही होना इतना काफ़ी हैं
तीस साल की अवस्था में प्यार परिवार नौकरी इसके अलावा कोई और विकल्प नहीं रहता
चालीस साल की अवस्था में "उच्च शिक्षित" और "अल्प शिक्षित" एक जैसे ही होते हैं क्योंकि अब कहीं इंटरव्यू नहीं देना, डिग्री नहीं दिखानी,
पचास साल की अवस्था में "रूप" और "कुरूप" एक जैसे ही होते हैं। आप कितने ही सुन्दर क्यों न हों झुर्रियां, आँखों के नीचे के डार्क सर्कल छुपाये नहीं छुपते,,
फिर साठ से सत्तर साल की अवस्था में "बड़ा घर" और "छोटा घर" एक जैसे ही होते हैं। (बीमारियाँ और खालीपन आपको एक जगह बैठे रहने पर मजबूर कर देता है, और आप छोटी जगह में भी गुज़ारा कर सकते हैं).
और इसके बाद के साल की अवस्था में "सोना" और "जागना" एक जैसे ही होते हैं। (जागने के बावजूद भी आपको नहीं पता कि क्या करना है).
इसलिए
जीवन को सामान्य रुप में ही लें क्योंकि जीवन में रहस्य नहीं हैं जिन्हें आप सुलझाते फिरें.
आगे चल कर एक दिन सब की यही स्थिति होनी है, यही जीवन है
इसलिए जीवन को सामान्य से जिए क्यों की चैन से जीने के लिए किसी का होना या नही होना इतना काफ़ी हैं
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