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मेरा ईश्क़
हम सभी दोस्त आज बहुत खुश थे। हम करीब दस साल बाद एक-दूसरे से मिले थे। वैसे तो हम सब वोट्सएप ग्रुप से कनेक्शन में थे लेकिन आमने-सामने मिलने का एक्सपिरियंस कुछ अलग ही है। बारहवीं के बाद आज पहला ऐसा मौका है जब हम सब साथ है। इन दस सालों में सभी अपने आप को सेटल करने की दौड़ में भाग रहे थे, और आज टचवुड सभी वेल-सेट थे। तकरीबन सभी की शादियां हो गई थी। तकरीबन इसलिए क्योंकि मीरा ने शादी नहीं की थी। मीरा, नाम से ही त्याग, प्रेम और वैराग्य का प्रतीक होने का एहसास होता है। और वो बिल्कुल वैसी ही थी।

मीरा एक लड़के को चाहती थी। सहज, हमारा सिनियर था। मीरा उसे पसंद तो करती थी लेकिन वो कभी उसे बता नहीं पाई। सहज लास्ट यर में था तब उसका प्लेसमेंट हो गया और फाइनल एक्झाम तक उसकी सगाई हो गई। और रह गई हमारी मीरा। उपर से पागल ने किसी और से भी शादी नहीं की।

लंच के बाद हम रिसोर्ट के गार्डन में बैठने गए। बातों बातों में हम अपने पूराने दिनों में खो गए। सर का कार्टून बनाना, मेम के क्लास में सोंग बजाना, बकवास लेक्चर में मास बंक करना। करीब देढ़ घंटा ये फ्लेशबेक चला। इस फ्लेशबक में जितने हम खुश नहीं थे, उससे ज़्यादा हमारे लाइफ पार्टनर्स गुस्से में थे। और होवे भी क्यों न, डेढ़ घंटा इनफ होता है दूसरों के पागलपन को सहने के लिए।

फिर मैंने इस बहाव को एक नई दिशा की ओर मोड़ा। मैंने कहा कि, "चलो एक काम करते हैं। हम सब अपनी लाइफ के कुछ इन्सीडंट्स शेयर करते हैं। कोई भी ऐसा इन्सीडंट जिसने आपको कुछ सिखाया हो, या जिससे आपकी लाइफ...