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अरमान
अंजना,देखो तो डौली रो रही है। देवेश ने डौली की आवाज सुनकर वाशरूम से कहा।
उसने भागकर डौली को उठाया।
बरबस ही उसके नेत्रों से आंसू गिरने लगे।वह चार वर्ष पूर्व की याद.में खो गई।
उस दिन पिताजी की दूसरी बरसी थी।उनकी दो साल पहले एक कार दुर्घटना में मृत्यु हो गई थी।उनकी अपना रेडीमेड गारमेंट का निर्यात का कारोबार था।अचानक मां को जमीन पर गिरते देखकर अंजना ने कहा, अरे मां, क्या हुआ आपको?
मां, मां,मां ,पर मां कुछ नहीं बोल रही थीं।वे बेहोश हो गईं थीं।उन्हें हास्पिटल ले जाया गया।
डाक्टर ने विभिन्न परीक्षण के बाद बताया कि उनके मस्तिष्क में गांठ बन गई है और यदि यह दवा से न समाप्त हुई तो आप्रेशन करना होगा।ऐसा कहकर तीन सप्ताह की दवाई लिख दी।इसी बीच अंजना के मामा जी मम्मी को पूछने आये थे और उसी दिन उसके भाग्य का फैसला हो चुका था।शाम को मामाजी, अंजना और मम्मी जी चाय पी रहे थे।
मां ने कहा:-बेटा ,मेरे बिगड़ते स्वास्थ्य के कारण मेरे जीवन का कोई पता नहीं।भाई दुर्गेश भी अभी छोटा है।वह कक्षा 9 में ही तो पढ रहा है।
उसे अभी नौकरी या व्यवसाय करने और आत्मनिर्भर बनने में बहुत समय लगेगा।
मैं चाहती हूँ कि मेरे जीते जी तुम्हारा विवाह हो जाए।मामाजी के दोस्त के बेटे हैं।28 वर्ष उम्र है।
मां बाप के अकेले बेटे है।इनकी अपनी स्टील पाइप और दो प्लास्टिक इंडस्ट्रीज है।
इनका विवाह तीन वर्ष पहले हुआ था किंतु चार माह पूर्व उनकी पत्नी की कार दुर्घटना में मृत्यु हो गई और इनके एक साल की बेटी है।
अंजना:- मां आप ऐसा क्यों कहती हो?आप बहुत जल्दी पूरी तरह से ठीक हो जाएंगी।और अभी मेरी उम्र भी ज्यादा नहीं है। मैं बस 18 साल की हूं लड़के की उम्र भी ज्यादा है,ऊपर से शादीशुदा और एक बेटी का पिता।
मां:-ठीक है बेटा,जैसी तुम्हारी मरजी।
समय बीतता गया। अंजना की मां के स्वास्थ्य में सुधार न हुआ।डाक्टर के मुताबिक,दिमाग की गांठ ने ट्यूमर का रूप ले लिया था जो अब आपरेशन से ही निकल सकता था।मां के आपरेशन में देवेश ने तन मन धन से बहुत मदद की थी।आपरेशन के लिए दो यूनिट ब्लड की जरूरत थी।किसी का भी रक्त का ग्रुप मैच नहीं कर रहा था।देवेश ने ही दो यूनिट ब्लड दिया था।
तब पहली बार उसने देवेश को देखा था।उसका स्वभाव और माथे पर अबोध बालिका की चिंता
देवेश को करुणा का पात्र बना रही थी। किंतु वह किसी भी प्रकार से अपने मन को उसे जीवनसाथी के रूप में अपनाने को नहीं समझा पा रही थी।हालांकि देवेश ने भी अपनी ओर से बात का कोई प्रयास नहीं किया था।
आपरेशन हो चुका था।डाक्टर के अनुसार उन्हें 12घंटे तक बिल्कुल मस्तिष्क पर जोर नहीं देना था।दो दिन बाद उनकी हॉस्पिटल से छुट्टी कर दी गई।
मामाजी और देवेश उस दिन हास्पिटल पहुंचे थे।
हास्पिटल से डिस्चार्ज होने की कागज की सारी कार्यवाई मामाजी और देवेश ने संपन्न की।अंजना को देवेश का घर के सब कार्यों में हस्तक्षेप करना अच्छा नही लग रहा था।पर वह मां की हालत को देखते हुए मामा जी को कुछ नहीं कह पा रही थी। मां को पूर्ण आराम की सलाह दी गई थी।दो माह तक मां ठीक रही थीं।फिर एक दिन अचानक ही उन्हें तेज सरदर्द हुआ और वे बेहोश हो गईं।उन्हें हौस्पिटल ले जाया गया,पर उन्होंने रास्ते में ही दम तोड़ दिया। वह तो मांके पास ही बेहोश हो गई थी।
पूरे घर की जिम्मेदारी अब उसके ऊपर आ गई थी।अब मामाजी उसके घर ज्यादा आने लगे थे और व्यवसाय संबंधी मार्गदर्शन भी देते थे।
एक माह पश्चात मामा जी ने अंजना से कहा:-बेटा
आपकी मम्मी यह पत्र लिखकर मुझे दे गई थी।कहा था कि यदि मुझे कुछ हो जाए तो यह पत्र बिटिया अंजना को दे देना।
पत्र लिफाफे में बंद था।उसने खोलकर पढा तो पैरों तले जमीन ही निकल गई।उस पत्र में अंजना को देवेश से विवाह करने की सलाह दी गई थी।साथ ही अंजना के विवाहित भविष्य को देखते हुए कुछ शर्ते देवेश के लिए जोडी गई थी।
अंजना ने उन सभी शर्तों को अपने अनुकूल देखा।फिर भी वह इस रिश्ते के लिए तैयार नहीं थी।
बार बार एक ही ख्याल उसके मन में आ रहा था,कि लडकियों के कोई अरमान नहीं होते क्या?
क्यों हर बार एक लड़की ही कुर्बानी देती है?क्या उसे तलाकशुदा लड़की नहीं मिल सकती?इतना धनाढ्य परिवार, अथाह धन दौलत, करोड़ों की जमीन जायदाद, घर में नौकर चाकर, फिर उसे कोई अविवाहित लड़की ही क्यूंकर विवाह के लिए चाहिए ।
उसने यह सब सोचते हुए मना कर दिया।दो सप्ताह बाद मामाजी घर आए। इस बार देवेश भी उनके साथ आया था।उसने अंजना से स्वयं बात करने की इच्छा जाहिर की थी।मामाजी के सामने देवेश ने अंजना के सभी संशयों और प्रश्नों का निवारण किया। बच्चे के लिए उसके वात्सल्य प्रेम ने अंजना को हिलाकर रख दिया।उसके विचार बहुत नीतिपरक थे।
उसने कुछ शर्तें रखीं और विवाह के लिए हां कर दी।
अंजू,तुम रो क्यों रही हो?सुनकर वह वर्तमान में लौटी।
देवेश प्यार से अंजना को अंजू कहकर बुलाता था।
कुछ नहीं,कहते हुए वह अपने आंसू पोंछने लगी।
देवेश:-डार्लिंग, क्या मैंने कुछ गलत कहा?प्लीज, बताओ, क्यों रो रहे हैं आप?
अंजना:'कुछ नहीं, ऐसे ही बस...
देवेश:-ठीक है। हम भी अब आपके बगल में जमीन पर आकर बैठ जाते हैं और अब भी नही बताया तो गोदी में आकर बैठ जायेंगे।
अंजना:-मुझे मम्मी की याद आ गई थी।अच्छा, अब उठो जमीन से,और आप तैयार हो जाइए।
आपने कहा था कि मुझै याद दिला देना कि मैंने एक मीटिंग में जाना है।
कहते हुए वह उठ गई और किचन की तरफ चल दी
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