...

6 views

अरमान
अंजना,देखो तो डौली रो रही है। देवेश ने डौली की आवाज सुनकर वाशरूम से कहा।
उसने भागकर डौली को उठाया।
बरबस ही उसके नेत्रों से आंसू गिरने लगे।वह चार वर्ष पूर्व की याद.में खो गई।
उस दिन पिताजी की दूसरी बरसी थी।उनकी दो साल पहले एक कार दुर्घटना में मृत्यु हो गई थी।उनकी अपना रेडीमेड गारमेंट का निर्यात का कारोबार था।अचानक मां को जमीन पर गिरते देखकर अंजना ने कहा, अरे मां, क्या हुआ आपको?
मां, मां,मां ,पर मां कुछ नहीं बोल रही थीं।वे बेहोश हो गईं थीं।उन्हें हास्पिटल ले जाया गया।
डाक्टर ने विभिन्न परीक्षण के बाद बताया कि उनके मस्तिष्क में गांठ बन गई है और यदि यह दवा से न समाप्त हुई तो आप्रेशन करना होगा।ऐसा कहकर तीन सप्ताह की दवाई लिख दी।इसी बीच अंजना के मामा जी मम्मी को पूछने आये थे और उसी दिन उसके भाग्य का फैसला हो चुका था।शाम को मामाजी, अंजना और मम्मी जी चाय पी रहे थे।
मां ने कहा:-बेटा ,मेरे बिगड़ते स्वास्थ्य के कारण मेरे जीवन का कोई पता नहीं।भाई दुर्गेश भी अभी छोटा है।वह कक्षा 9 में ही तो पढ रहा है।
उसे अभी नौकरी या व्यवसाय करने और आत्मनिर्भर बनने में बहुत समय लगेगा।
मैं चाहती हूँ कि मेरे जीते जी तुम्हारा विवाह हो जाए।मामाजी के दोस्त के बेटे हैं।28 वर्ष उम्र है।
मां बाप के अकेले बेटे है।इनकी अपनी स्टील पाइप...