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!! पत्थर के देवता !!
काश! वो समझ पाती कि देवता पत्थर के होते हैं, हाँ इंसान ज़िंदा होते थे। मगर उसने मुझको तो अपने मन ही मन में देवता मन लिया है। वो मुझे जान पाती मुझे समझ पाती इसके पहले ही उसने मुझे देवता बना दिया। जब भी मैं उसको मिलता वो देवता के नज़रिए से मुझे देखती, मुझसे बर्ताव करती, उसकी मेरे प्रति ऐसी भक्ति देखकर मैं भी कई बार हैरान सा रह जाता। जबकि मैंने ऐसे कोई कर्म नहीं किए, उसके लिए तो कुछ भी नहीं किया, उसका दर्द भी कभी नहीं बाँटा। मैं तो उसके बारे में सिर्फ़ इतना ही जानता हूँ कि उसकी वो सांवली, सलोनी झील सी आँखें, वो मासूम हँसी इन बातों पर ही मैं फिदा हो गया। उसकी बातों में गले की वो सुरमई...