...

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प्रेम लाता हैं परिवर्तन
" सुनो तो "
उसे रोकते हुए रानी ने कहा ।

"हाँ, बोलो ना सुनतो रहा हूँ " स्नेह भरे स्वर में जय ने बोला
दर्द भरे स्वर में रानी कहने लगी,
"ऐसा ना कहो, मैं यह सुन नहीं सकती "

"अरे, तुम रो क्यों रही हो?
मैं ये कहाँ कह रहा हूँ कि तुम प्यार नहीं करती ।
मैं तो जानता हूँ कि, मेरी रानी मुझसे बहुत प्यार करती है ,
वो तो बस उसे दिखाना नहीं आता "
आँसू पोंछते हुए जय ने रानी से कहा ।

आँसूओं से भींगा चेहरा अपने नर्म हाथेली से पोंछते हुए रानी ने जय की ओर देखा और बड़ी धीमे स्वर में जय से पूछा,

" तो तुम ही बताओ, मैं क्या करूँ ?
कैसे बताओ
कैसे दिखाऊ तुम्हें तुम्हारे लिए मेरा ये प्यार ? "

यह सुन जय खिड़की से बाहर की तरफ देखने लगा, बाहर समुद्र की लहरें आती थीं और चट्टानों से टकरा कर लौट जाती थी ।
कुछ देर बाद सन्नाटा तोड़ते हुए जय ने कहा,

"तुम्हारी बातों में मधुरता नहीं है, रानी
तुम प्यार तो करती हो पर प्यार की बोली नही बोल पाती
प्रीत के बोल स्वर को ओर सुरीला और बातों को ओर प्रभावशाली बनाता हैं "

" तुम्हारे प्रेम ने मुझे बदल दिया, मुझे एक अच्छे इंसान में तब्दील कर दिया , मुझ में स्थिरता आ गई,
अब मैं किसी से लड़ नहीं पाता, तुम्हारे प्यार ने मुझे नर्म बना दिया है, रानी तुम्हारे प्यार में बहुत ताकत हैं, केवल तुम्हारे प्रेम ने मुझ जैसे पत्थर को पिघला दिया ,
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प्रेम लाता हैं परिवर्तन, जो तुम्हारा प्रेम मेरे लिए लाया,
और मेरा प्रेम ना ला सका तुम में ।"
© preet