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#जंगल
#जंगल
मैंने कहा था स्पेयर टायर चेक करवा लेना निकलने से पहले, लेकिन तुम को तो बस हर बात मज़ाक लगती है। सुदीप ने गुस्से में झुंझलाते हुए रवि से कहा। उफ्फ नेटवर्क भी नहीं है मोबाइल में और इस घने जंगल में कोई दिख भी नहीं रहा।
सुदीप और रवि कंपनी के काम से निकले थे । दोनों एक प्रतिष्ठित कंपनी में सुपरवाइजर थे । अपना काम निपटाकर लौटते में अंधेरा हो गया था और जिस रोड से वे लौट रहे थे वो सिंगल रोड थी जो आगे जाकर हाइवे से मिलती थी ।
बीच का रास्ता बहुत सुनसान था । अंधेरा ही अंधेरा था और स्ट्रीट लाइट्स भी नहीं थीं ।गाडियाँ भी न के बराबर चल रही थीं कि उनकी गाड़ी धचके खा-खा कर चलने लगी । सुदीप ने उतर कर देखा तो टायर पंचर था ।
"ओफ्फोह...इसे भी अभी पंचर होना था । अब यहाँ इस सुनसान, अंधेरे में टायर बदलना पड़ेगा ।"
"मैं निकालता हूँ....टायर और सामान ।" रवि बोला ।
रवि ने डिग्गी खोली ।
"ओह....यह क्या....इसमें तो स्टेपनी ही नहीं है....!" रवि की आवाज़ में घबराहट थी ।
"अब हम क्या करेंगे....?"
"कहा तो था....स्टेपनी चैक कर लेना चलने से पहले...पर तुम्हें तो कुछ ध्यान ही नहीं रहता....।" सुदीप रवि पर बुरी तरह झुँझला रहा था ।
मोबाइल की बैटरी भी डिस्चार्ज हो रही थी और नेट भी रुक-रुक कर आ रहा था । साँय-साँय करती अंधेरी रात मन में डर भर रही थी । सुदीप तो मज़बूत था पर रवि बड़ा डरपोक था....डर और घबराहट में उसकी हालत ख़राब हो रही थी ।
क्या करें.....दोनों की समझ में नहीं आ रहा था....!
दूर खेतों में नज़र दौड़ाई तो एक झोपड़ी नज़र आई...डर तो लगा पर जाकर देखना ही उचित समझा और जाकर दरवाज़ा खटखटा दिया ।
"कौन है.....!" भीतर से आवाज़ आई ।
"हमें मदद की ज़रूरत है । कृपया दरवाज़ा खोल दीजिए ।" सुदीप ने कहा ।
थोड़ी देर बाद दरवाजा खुला तो एक बुजुर्ग थे । पीछे एक बुजुर्ग महिला थीं जो संभवतः उनकी पत्नी होंगी ।
उन दोनों ने अपनी समस्या बताई । बुजुर्ग के पास फ़ोन था । उन्होंने फ़ोन किया ।
"चिंता न करो आपकी समस्या का समाधान हो जाएगा ।"
"ज़रा चाय बना लो...बेचारे परेशान हो गए हैं ।"
बुजुर्ग महिला ने काफ़ी मशक्कत करके चूल्हे पर चाय बनाई ।
कुछ समय बीता तो दो लड़के मोटरसाइकिल पर पंचर जोड़ने का सामान लेकर आए । उन्होंने दोनों टायरों के पंचर जोड़ दिए । सुदीप ने उन्हें काम से काफ़ी अधिक पैसे दे दिए ।
बुजुर्ग दंपति अपने खेतों की रखवाली के लिए वहाँ रहते थे । जबकि उनका परिवार थोड़ी दूर ही गाँव में रहता था ।
सुदीप और रवि ने बुजुर्ग दम्पत्ति को इस संकट के समय में मदद के लिए बहुत धन्यवाद दिया । पैसे देने चाहे पर उन्होंने नहीं लिए । दोनों ने फ़िर आने का वादा लेकर उन्हें विदा किया । सुदीप और रवि जीवन का एक न भूलने वाला अनुभव साथ लेकर वापस आए ।
गीता यादवेन्दु

© Geeta Yadvendu