...

6 views

शर्त बड़ी हवेली के बगीचे से आम लाना
#शर्त
(भाग एक)
चंदन को शर्त लगाना और फिर उसे जीतना बहुत पसंद था। हर बात पर शर्त लगाना उसकी आदत में शुमार हो गया था। इसलिए चंदन को लोग शर्तिया चंदन कह कर बुलाते थे। आज फिर उस ने शर्त लगाई थी आनंद से कि वह बड़ी हवेली के बगीचे से दस आम तोड़ के लायेगा।आनंद आज मन ही मन बहुत खुश था वह कई बार चंदन से शर्त हार गया आज बमुश्किल चंदन को उसने ऐसा फंसा दिया था
कि जैसे उसे शर्त हारना ही था। हाथी के मुंह से गन्ना कौन ले सकता है,ऐसा ही था बड़ी हवेली के बाग से आम लाना । ठाकुर रंजीत सिंह का घराना शहर के बहुत ही रईस घराना था। लोग
उनका नाम सुनकर कांप जाते थे। उनके परिवार के किसी व्यक्ति तो दूर उनके नौकर चाकर से कोई आंख उठा के शहर में बात नहीं करता था । उनके बगीचे से दस आम तो दूर कोई आम का पत्ता तक तोड़ने की जुर्रत नहीं
कर सकता था ।
चंदन ने शर्त तो आनंद से लगा दी लेकिन वह बैठा सोच रहा था कि बड़ी हवेली के बगीचे से
वो कैसे आम ले आये। ठाकुर की हवेली को जो सड़क शहर से जाती थी वहाँ बैरियर लगा हुआ था वहाँ बिना रजिस्टर में कार्य दर्ज कराये उस सड़क से गुजर नहीं सकता था। मेज पर अखबार पड़ा हुआ था विज्ञापन पर उसकी नज़र पड़ी ठाकुर रंजीत सिंह की हवेली में एक नृत्य कला में निपुण कलाकार तबला वादक टीचर की आवश्यकता है जो उनकी
बेटी कुमकुम सिंह को नृत्य सिखा सके तुरंत
संपर्क करें । उस समय यह मोबाइल का युग नहीं था चंदन का दिमाग़ बहुत तेज़ चल रहा था शर्त हारना उसे मंजूर नही था। उसने तुरंत
कपड़े पहने, अखबार मोड़ कर ले लिया
साइकिल से सीधे उसी सड़क पर भागा चला
जा रहा था । जैसे ही वहाँ पहुँचा वहाँ रजिस्टर
लिए एक व्यक्ति बैठा था, बंदूक लिए बड़ी
बड़ी मूछों वाले दो व्यक्ति और बैठे थे, उसने
अखबार निकाल कर दिखाया कहा हम बहुत अच्छे तबला वादक हैं तथा बहुत सी लड़कियों
को नृत्य की शिक्षा प्रदान कर चुके हैं, हमें ठाकुर साहब से अभी मिलना है। उसने कहा ठीक नाम बताओ उसने अपना नाम चंदन बताया चौकीदार ने पूछा कहाँ रहते हो उसने कहा चांदनी चौक उसने रजिस्टर में दर्ज कर दस्खत करवाये और जाने को कहा। वह हवेली वाली सड़क पर जा रहा था दाहिने हाथ पर बगीचा था। बहुत आम लगे थे बगीचे के चारों ओर चहार दीवारी थी गेट बंद था लेकिन वह सीधे हवेली की तरफ जा रहा था। वह हवेली के सामने पहुँच गया चौकीदार खड़ा था उसने उसे अखबार दिखा कर बताया मैं नृत्य सिखाता हूँ उसने कहा बैठ जाइए मालिक से
बताता हूँ वह अंदर चला गया थोड़ी देर बाद
आया बोला चलिए वह उसके पीछे पीछे चल दिया। अब उसका हृदय कांप रहा था कि हम तो तबला बजा नहीं पाते न हम नृत्य जानते हैं
हम तो शर्त जीतने के लिए यहाँ तक आ गए अब क्या होगा । सामने ठाकुर रंजीत सिंह बड़ी बड़ी मूछों गठीला बदन राइफल रखी थी कुर्सी पर बैठे थे । उसने उनका अभिवादन किया वह बोले तबला बजा लेते हो उसके मुख से जी निकल गया ठाकुर साहब बोले मेरी बेटी है वह कालेज की शिक्षा प्राप्त कर चुकी अब वह नृत्य सीखना चाहती क्या सिखा पाओगे।चंदन के मुख से फिर अकस्मात जी निकल गया । वह नौकर से बोले इनको ले जा कुमकुम से मिला दो वह अगर कहती है आप अच्छे टीचर हैं तो हम आप को रख लेंगे।चंदन ने कहा ठीक। नौकर चंदन को लिए चला जा रहा था बहुत बड़ी हवेली महिलाएं शायद दूसरी तरफ़ रहती थी। दस मिनट चलने के बाद वह बोला आप यहीं रुको हम उनसे पूछ कर आते हैं। वह चला गया थोड़ी देर बाद आकर बोला कुमकुम बिटिया बुला रही हैं।वह चल दिया सामने कुमकुम इंतज़ार कर रही थी बहुत खूबसूरत ऐसी सुंदर लड़की उसने अभी तक नहीं देखी थी। चंदन ने अपनी नज़र झुका ली वह बोली आप कहाँ रहते हैं। उसने कहा हम चांदनी चौक रहते उसने फिर पूछा आप मुझे नृत्य सिखा देंगे । चंदन बोला नृत्य सीखना सरल है पर नृत्य सिखाना कठिन उसने पूछा क्यों आप यहाँ नृत्य सिखाने ही तो आये हैं। उसने कहा हम सिखाएंगे पर प्रयास तो आपको करना आप रुचि लेंगी तो सीख जायेंगी ठीक कुमकुम बोली आप सही कह रहे कब से आयेंगे। आप जब से कहेंगी। वह उठ खड़ा हुआ उसने नौकर से कुछ कहा नौकर हमे लेकर चल दिया हम वहीं ठाकुर रंजीत सिंह के सामने पहुँच गए। नौकर ने ठाकुर से कुछ कहा था ठाकुर साहब बोले ठीक बेटी ने आपके लिए हां कर दी। कल से दिन में ग्यारह बजे आ जाया करो। उन्होंने कहा आप अपने पैसे बता दीजिये।
चंदन ने कहा मुझे आपसे कुछ मागना नहीं
बस मेरी दादी की एक इच्छा है कि किसी ने
उनसे बताया होगा आपके बगीचे में विदेश से लाये गए आम के पेड़ हैं उनमें बहुत स्वादिष्ट आम आते हैं दादी कहती मरने से पहले हमें
वो आम मिल जाते तो हम सीधे स्वर्ग चले जाते। आप हमें बस आम दे दो उन्होंने कहा ऐसी बात है तो हम आम पकने पर स्वयं आपकी दादी को आम चलकर खिलाएंगे चंदन फंस गया था, दादी की मृत्यु बहुत पहले हो चुकी थी।
वह बोला आप आज ही आम दिलवा दीजिये
दादी को कच्चे ही आम उबाल कर पना बना कर खिला देंगे उनकी आत्मा शांत हो जायेगी
वो मरणासन्न अवस्था में पड़ी हैं क्या पता कल तक जीवित रहेंगी या नहीं । ठाकुर रंजीत सिंह नौकर से बोले इन्हें ले जाइए और एक झोला
आम तुड़वाकर अभी दीजिये हो सकता कुछ
पुण्य हमें भी मिल जाए।
चंदन नौकर के साथ प्रसन्न मुद्रा में जा रहा था
बगीचे मे पहुँच कर नौकर ने चौकीदार से एक झोला आम उसे दिये । वह झोला लेकर घर की
ओर चल दिया था शर्त वह जीत चुका था।लेकिन समस्या खड़ी हो गई थी ,वह न तो तबला बजाना जानता था न ही नृत्य । यही सोचता चला जा रहा था।
आनंद बड़ा खुश था अभी तक चंदन वापस नहीं आया । उसके घर पर किसी ने दस्तक दी सामने चंदन खड़ा था। वही खुशमिजाज चेहरा लिए। बोला तुमने दस आम लाने की शर्त रखी थी हम बड़ी हवेली के बगीचे से एक झोला आम ले आये आनंद का चेहरा फिर से उतर गया वह कभी चंदन से शर्त जीत न पाया था उसे आत्मग्लानि हो रही थी ।
क्रमशः भाग दो--