...

2 views

अन्तरमन
#ख्वाबोंकीदुनिया
एक दिन अन्तरमन में जगी एक अभिलाषा,
तन्हाई में गुज़रे ज़िंदगी दिल भी प्रेम का प्यासा,
सोचा क्यों न करें भगवत कथा नर नारी सब आयेंगे,
सुनकर मेरी कथा प्रेम से भाव विभोर हो जायेंगे,
धीरे धीरे नाम भी होगा ईश्वर की शरण मिल जायेगी,
तन्हाई भी हो समाप्त तन में भी स्फूर्ति आ जायेगी,
मन ही मन लड्डू फूट गये दिल में एक नव ज्योति जगी,
जुट गए इंतजाम में आलस,तनहाई छोड़ भगी,
एक सप्ताह में ही गाँव में लगा दिया था पंडाल,
भगवत कथा प्रारंभ हुई पूरा गाँव ही था खुशहाल,
कथा के बीच में हंसाने को छोड़ दिये जाते छोटे दृष्टान्त,
हमने भी एक शादी करवाने वाले मध्यस्थ का छोड़ दिया वृत्तांत,
मध्यस्थ की खातिर लड़के लड़की दोनों ओर से होती,
पुराने जमाने में बारात तीन दिन तक थी रूकती,
एक दिन बारात में नाच गाने के संग न्योतनी होती थी,
सभी इकट्ठा होते कविता के माध्यम से एक दूसरे बड़ाई होती थी,
मध्यस्थ को दोनों तरफ खा खा कर रसगुल्ले आने लगे दस्त,
न्योतनी वाले दिन धूप में कर करकेे दस्त हो गये बेचारे पस्त,
नर्तकी गा रही थी गाना सब समझे मध्यस्थ हो गये दीवाना,
गाने की लाइन ➖ बेरिया तर की बात बताइ दीबो,
मध्यस्थ रुपए निकालते उसे देते नर्तकी वही लाइन बोले,
एक एक करबीस रुपये दिये मध्यस्थ समझे ये मेरा राज खोले,
दिमाग़ ख़राब गुस्से से सबके सामने बोले क्या बताइ दीबो,
बार बार कह रही बेरिया तर की बात बताइ दीबो,
तू क्या बताएगी हम सभी से बताए दे रहे बीस रूपये मेरे दे,
मध्यस्थ बोले सुनो हम आब दस्त गए थे धूप में बैठ गए बेरी के नीचे,
एक बहुत सुंदर पका बेर गिरा हमने धो मुंह में भीचे,
ये नर्तकी वही गाना सुना रही इतने पैसे दिए तब भी कहती बताइ दीबो,
न्योतनी में ठहाका लगाकर लोग हंसने लगे थे,
उधर भगवत कथा में भक्त सुनकर आनंदित हो रहे थे,
पंडाल में ठहाका ठोलक हारमोनियम तबले के साथ गूंज रहे थे,
उसके बाद जयश्रीराम जयश्रीराम के भजन वातावरण में गूंजने लगे,
सभी भगवत भक्ति में लीन हो गये नर नारी मंत्र मुग्ध होने लगे,






















© प्रकाश