मन....!
मन..!
इंसान का मन भी कितना चंचल होता है न। पर जितना यह चंचल होता है ये उतनीही मूर्खता वाली हरकते भी करता है। आपने महसूस किया होगा कि इससे पहले भी जिंदगी में कितने लोग आए और चले भी गए। चले जाने के कई कारण हो सकते है जैसे कि, किसीको हमसे बोहोत उम्मीदे थी, इतनी उम्मीदे की वही सारी उम्मीदेही हमपर पर बोझ होने लगी थी। या कभी कभी हमारा मन ही किसीसे ज्यादाहि उम्मीदे लगा...
इंसान का मन भी कितना चंचल होता है न। पर जितना यह चंचल होता है ये उतनीही मूर्खता वाली हरकते भी करता है। आपने महसूस किया होगा कि इससे पहले भी जिंदगी में कितने लोग आए और चले भी गए। चले जाने के कई कारण हो सकते है जैसे कि, किसीको हमसे बोहोत उम्मीदे थी, इतनी उम्मीदे की वही सारी उम्मीदेही हमपर पर बोझ होने लगी थी। या कभी कभी हमारा मन ही किसीसे ज्यादाहि उम्मीदे लगा...