...

0 views

डरावनी बरसात
रूही और आरव बहुत ही अच्छे दोस्त थे । उन दोनो की सोच हर बात मे एक-दूसरे से मिलती थी । लेकिन एक सोच उनकी नही मिलती थी और वह यह थी की रूही को बारिश बहुत पसंद थी लेकिन आरव उसको बारिश से नफरत थी । बारिश के बाद जो गंदगी होती थी आरव को इसलिए बारिश अच्छी नही लगती थी । एक दिन की बात है रूही और आरव शाम के समय पार्क मे  बैठे  थे ।

तभी वहां धीरे-धीरे बादल के साथ हवा चलने लगती है । रूही इस बात से अंजान बारिश के वही मजे लेने लगती है । आरव मौसम को देखकर  रूही से घर जाने की जिद्द करने लगता है । लेकिन रूही उसकी बात नही सुनती वह कभी बारिश मे नाचती, तो कभी खुशी से इधर-उधर भागती है । कुछ ही देर मे वहा तूफान आ चुका था । तेज हवा के कारण पेड़ कुछ ही पल मे जमीन पर गिरने वाले थे ।

आरव को अब डर लगने लगा था । और वह रूही से बोलता है रूही चल वरना मै अकेला ही जा रहा हूँ । रूही भी अब समझ चुकी थी की यह बारिश अब खूबसूरत नही डरावनी हो चुकी है और वह आरव से बोलती है आरव भाग वह जैसे ही भागता है उसका पैर पथर से जा टकराता है और वह एक ऐसे पेड़ के नीचे जा गिरता है । जो कुछ ही सेकंड मे गिरने वाला था ।

लेकिन वह दोनो इस बात से अंजान थे की यह बारिश उनके लिए डरावनी बारिश होने वाली है । आरव वहां से उठकर भागने ही वाला था की वह पेड़ आरव के पैर पर गिर जाता है जिससे उसकी चीख निकल जाती है । रूही को अब कुछ समझ नही आ रहा था की वह अब क्या करे ।

रूही को अपने ऊपर गुस्सा आ रहा था की उसने आरव की बात क्यों नही मानी अगर उसने पहले ही आरव की बात मान ली होती तो शायद उसके साथ ये सब ना हुआ होता । इन सब मे एक अच्छी बात यह थी की तूफान अब काफी कम हो चुका था वह दो लोगो की मदद से आरव को हॉस्पिटल ले जाती है  और आरव के घर फोन कर उन्हे सब कुछ बता देती है ।

उसके परिवार वाले उस पर काफी गुस्सा होते है । वह तुरंत हॉस्पिटल पहुंचते है । जैसे ही वह सब हॉस्पिटल पहुंचते है उन्हे पता चलता है की आरव अब कभी नही चल सकता वह अपने दोनो पैर खो चुका है । यह बात सुनकर रूही को सदमा सा लग जाता है और वो खड़े-खड़े वही बैठ जाती है ।

उस दिन के बाद आरव के घरवाले उन दोनो की बातचीत बंद करा देते है । एक महीना बीत चुका था आरव अब अपने आपको ऐसे ही स्वीकार कर चुका था । उस दिन जो कुछ हुआ वो सब कुछ भूल चुका था लेकिन वह रूही को अभी तक नही भूला था । वो रोज अपने घर के बाहर बैठ कर रूही का इंतज़ार करने लगा । तभी एक दिन उसको रूही की मम्मी दिखाई देती है । वो उनसे पहुंचता है की ऑन्टी रूही कैसी है वह अब बाहर क्यों नही आती ।

रूही की मम्मी आरव को सब बता देती है । की उस दिन से वो अपने आपको तुम्हारी इस हालत का जिमेदार मानती है और बारिश उसके लिए खूबसूरत नही डरावनी बारिश हो चुकी है । वह इस बारिश मे अब खुश नही होती बल्कि बारिश का नाम सुनते ही घर के किसी कोने मे जा कर छिप जाती है । आरव को ये बात सुनकर अच्छा नही लगता और वह घर के अंदर चला जाता है  ।

एकदिन की बात है काफी तेज बारिश हो रही थी । वो घरवालो से जिद्द कर के रूही के घर के सामने जो पेड़ था उसके नीचे बैठ जाता है । और वही दूसरी और रूही फिर से बारिश के डर से अपने घर के किसी कोने आँखे बंद करके बैठ जाती है । वह जैसे ही कान पर हाथ रखने वाली होती है । उसे आरव के चीखने की आवाज सुनाई देती है रूही मुझे बचा मे गिर गया हूँ ये पेड़ कभी भी मेरे ऊपर गिरने वाला है ।

लेकिन उसकी डर से हिम्मत ही नही होती । आरव फिर बोलता है रूही तु आज फिर मेरी बात नही सुन रही तूने उस दिन भी मेरी बात नही सुनी और तुझे पता है की मेरे साथ क्या हुआ । आरव की यह बात सुनकर रूही को एक-एक कर वह सब याद आने लगता है जो कुछ उस दिन हुआ था ।

वह फिर चिलाता है रूही मुझे बचा ले मै मरना नही चाहता जल्दी आ प्लिज़ आरव की यह बात सुनकर रूही से रहा नही जाता और वो अपने डर को पीछे छोड़कर आरव को बचाने के लिए घर के बाहर भाग कर आरव के पास पहुंचती है और आरव की व्हील चेयर को पेड़ से बहुत दूर ले जाती है । वो जब पेड़ की तरफ देखती है तो उसको पेड़ तो दूर पेड़ की एक पत्ती भी हिलती हुई नजर नही आती और वह समझ जाती है की आरव उसको पागल बना रहा था ।

वह रोने लगती है और उस दिन के लिए आरव से माफी मांगती है । आरव तो खुश था क्योंकि वह काफी समय बाद उसने रूही को अपनी आँखो के सामने देखा था । वह रूही को अपने पास बुलाता है और गले से लगा कर समझाता है की उसके साथ जो भी कुछ हुआ वो उसकी वजह से नही पेड़ गिरने की वजह से हुआ था । रूही के लिए बारिश अब फिर से खूबसूरत हो चुकी थी क्योंकि बारिश की ही वजह से वह दोनो दोस्त फिर से मिल चुके थे ।