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अपनी गलतियो से सीख
#शर्त
चंदन को शर्त लगाना और फिर उसे जीतना बहुत पसंद था। हर बात पर शर्त लगाना उसकी आदत में शुमार हो गया था। इसलिए चंदन को लोग शर्तिया चंदन कह कर बुलाते थे। आज फिर उस ने शर्त लगाई थी आनंद से कि वह बड़ी हवेली के बगीचे से दस आम तोड़ के लायेगा।जबके वो क्या सभी जानते थे कि बगिचे की रखवाली मे चार मुसटंडे चौबिसै घंटे पहरेदारी करते रहते है, क्यूंकि बडी हवेली के बगिचे मे उम्दा किस्मों के आम के पेड थे, जो सबको प्रलोभन मे डालते थे!
चंदन शर्त तो लगा बैठा अपनी आदतानुसार पर वो भी समझ रहा था कि ये आसान नही है!
वो बैठकर जुगाड़ सोचने लगा
कैसे बगिचे के अंदर जाया जा सकता है.. कैसे पहरेदारों की आंखों मे धूल झोंका जा सकता है! उसे ये भी पता है कि पकडे जाने पर सजा क्या मिलती है, सोंचकर ही वो कांप गया.. छी छी वो तो किसी से मुंह दिखाने लायक भी नही रहेगा, पर वो ऐसा क्यूँ सोंचे, आजतक कोई शर्त हारी है उसने??
मै जीतकर ही रहूंगा शर्त ये भी!
वो बैठकर सोंचता रहा उपाय, क्या करे, कैसे करे?
एकबार उसके समझ मे आया कि क्यूँ न पहरेदारों को कुछ रिश्वत
देकर उससे दस आम ले ले,
या दीवार फांदकर खुद ही अंदर जाया जाए... पहरेदारों को चकमा देना आसान नही है, इंसान यदि कोई काम करने से पहले उसके सफल...