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तन और मन
मनुष्य तन तो नाशवान है। यह तन अर्थात शरीर तो हर जन्म में मिट जाता है। लेकिन हमारा मन ? मन नहीं मिटता ; हमारा मन हमारे एक जन्म से दूसरे जन्म में चला जाता है.! जब मनुष्य मरता है तो केवल उसका शरीर छूटता है, मन नहीं ! हमारा यह मन तो केवल तभी छूटता है , जब हम मुक्त होते हैं और मृत्यु की सामर्थ्य भी मन का अंत करने की नहीं है। मृत्यु तो केवल शरीर को मिटाती है, मन को नहीं।हमारा यह मन तो मृत्यु के भी पार चला जाता है।
अब सवाल उठता है कि मन कैसे मिटे? तो मित्रो केवल समाधि (आज के युग...