...

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आखिरकार मेहनत रंग लायी


धीरज काफी सालों से कोशिश कर रहे थे उनका टेडी बोलने लग जाये
पर ये संभव ना था बस अकेले अकेले
धीरज बोला करते थे

अपने टेडी के बोलने के लिए वो काफी डॉक्टर से मिले पर कुछ फर्क नहीं होता था

पर धीरज हार मानने वालों मे से नहीं थे
Earth पर उनके Teddy का बोलना imposible लग रहा था

उन्होंने एक एक करके सभी को बताया कहीं ऐसा तो नहीं Teddy को कुछ हुआ हो इसलिए नहीं बोल रहा हो धीरज ये सोचने लगे

उन्होंने अपने दोस्त संजय से बात करी
संजय उनका बचपन का दोस्त था

संजय - यार मुझे नहीं लगता Teddy कभी बोल सकता है तुम ये विचार छोड़ ही दो

धीरज - नहीं मुझे यकीन है मेरा Teddy कभी ना कभी जरूर बोलेगा

संजय - तुम क्यों वो जिद कर रहे हों जो हो नहीं सकता ?

धीरज - हार मानना आदत नहीं मेरी

थोड़ी देर बाद धीरज संजय से मिलकर अपने घर के लिए रवाना होने लगे निराश होकर क्योंकि सब जगह पहले ही कोशिश कर ली थी
अचानक धीरज को याद आया उनके अंकल
Dr. Tarun साइंटिस्ट है उनसे बात करनी चाहिए क्या पता काम हो जाए

धीरज ने जाकर अपने अंकल को पूरी बात बताई
पहले तो उन्हें लगा उनका भतीजा मज़ाक कर रहा है
पर जब उन्हें पता पड़ा ये मज़ाक नहीं सच है तो
Dr. Tarun भी आश्चर्यचकित हो गए पर थोड़ी देर बाद कहा

Dr. तरुण - मैं मशीन तो लगा देता हूं पर मुझे नहीं पता ये बोलेगा या नहीं

धीरज - आप मशीन लगा दीजिए हो सकता है Teddy बोलने लग जाये

Dr. तरुण ने मशीन लगा दी
थोड़ी बाद Teddy बोलने लगा

Hello मैं धीरज का Teddy हूं

ये सुनते ही धीरज भावुक हो गए
उनका आखिर सालों का सपना पूरा हुआ था अब तो उनके पास एक साथी था जो सिर्फ Teddy नहीं रह गया था उन्हें सुन सकता था और बोल भी सकता था जिसके कारण
धीरज को नए नए ट्रायल करने की सोच बनी रहती की अगला ट्रायल किस पर होगा

जब संजय को बताया मेरा Teddy बोलने लगा
संजय ने कहा बहुत अच्छी बात आखिर तुम्हारा वो सपना पूरा जिसकी मुझे भी उम्मीद नहीं थी इससे तुम्हें कंपनी मिलती रहेगी

धीरज ने हामी मे सर हिलाया ।


समाप्त

Pic Credit - Pinterest
© ©मैं और मेरे अहसास