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पॉजिटिव बोला करो
सुरेश और रैना दोनों बहुत ही भावुक हो जाते जब भी किसी के घर में सभी का प्यार देखते ,इनकी अपनी कहानी भी कुछ इस तरह जुड़ी थी कि भावुक होना स्वाभाविक था ।रैना तो एकल परिवार में रही थी पर सुरेश तो संयुक्त परिवार से ही था ।

शादी के बाद रैना ने संयुक्त परिवार में रहकर देखा कि मुसीबत के समय कैसे लोग एक-दूसरे का सहारा बनते है ।

रैना के घर मे तो अकेले अकेले सबकुछ करने की सबको आदत थी ।कभी कभी रैना को अखर जाता था कि उसके परिवार में कोई भी ऐसा नहीं जिससे वो थोड़ी देर दिल की बात कर सकें , पर शादी के बाद वक्त का पता ही नहीं चलता था ।

उसे तो अपने घर की याद तक न आती । सब आपस में यू बँधे थे कि उसकी बेटी कीया के जन्म के समय उसे ज़रा भी नहीं पता चला कि कब कैसे क्या हुआ । सभी ने अपनी ड्यूटी जैसे संभाल रखी थी कब क्या खाना है कब क्या आध्यात्मिक चीज़ें सुननी है ।

सुरेश अगर आफिस के काम से बाहर हो तो भी समय आराम से बीत जाता ।देखते देखते कीया 5 साल की और रियान साल भर का हो गाया ।सब कुछ किसी सपने सा लग रहा था घर मे जब वो आफिस से आती...