...

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एक बार ही मार डालो
एक ही आँख से हर एक को देखने वालो
अब तो अपनी आँखों के चश्मे बदल वालो

यूँ नहीं के हर एक बुरा समझा जाये
ये कैसा इन्साफ जो जुबां पर आये कहलवालो

हम दिल के मारो को कहाँ आता है बदलना
तुम्ही इनायत करो कुछ खुद को बदल डालो

एक दर्द ए रुस्वाई से निकले नहीं अब तक
अब तो जिससे चाहो नए ज़ुल्म करवा लो

मेरी हिम्मत को तराज़ू मैं फिर से तोलो
हो सके तो पलड़ा मोहब्बत का बढ़ा लो

अजीब तमाशा है सारिम उसे अब वक़्त चाहिए
बेहतर नहीं है क्या तुम एक बार ही मार डालो


© Sarim