...

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तेरा साथ
आखिरी भाग

चंद्रकांता के पास कोई नहीं था
ऐसा कभी नहीं हुआ था पर डॉक्टर्स भी जाने लगे
ये सब क्या हो रहा है चंद्रकांता के कुछ समझ नहीं आया

सभी के जाने के बाद
चंद्रकांता सुरेश की देह को देखने लगी

उसे लग रहा था सुरेश अभी उठकर बैठ जाएगा
उसे दिखाने के लिए सुरेश आज गया था
पर सच तो ये था वो एक्सीडेंट होते ही मृत्यु को प्राप्त हो गया था उसके होने का एहसास इसलिए बना रहा
क्योंकि सुरेश आत्मा के लेवल तीन पर था

उसे वापस शरीर मे आने की जरूरत नहीं लगती थी
वो जानता था पहले ही की वो नहीं बचेगा इसलिए उसने पहले ही शरीर त्याग दिया था क्योंकि उसके शरीर की आत्मा की जरूरत ही नहीं रह गई थी

उसे किसी से मतलब नहीं था
बस याद था चंद्रकांता से उसकी शादी बाकी वो सब भूल चुका था

सब के जाने के बाद सुरेश की आत्मा की आवाज़ आयी
चंद्रकांता मुझे यकीन था तुम आओगी

पर आप क्यों चले गए
मैं तुम्हारे साथ हूं हमेशा

मुझे अपनों द्बारा दर्द दिया गया कई बार
क्योंकि मैं सामान्य से अलग था
परिवार वाले चाहते थे मेरी शक्ति उनके काम आए
पर मैं ऐसा नहीं चाहता था
मैं नहीं चाहता था मेरी शक्ति का कोई और उपयोग करे
तो मैंने परिवार वालों को साफ़ साफ़ मना कर दिया

फिर शुरू हुआ मेरी पीड़ा का दौर
पता नहीं मैं जिंदा कैसे था
जबकि मेरा हार्ट भी बंद हो चुका था
ये सब देखकर मेरे अपने बहुत क्रोध मे आए


वो नयी नयी चाले चलने लगे
मैंने तुम्हें कई बार बात बताने की कोशिश की
पर हर कोई ना कोई रहता था तुम्हारे आसपास जिस कारण मैं नहीं बता पाया

और फिर एक्सीडेंट करा दिया
आगे की कहानी तुम्हें पता ही है

जो डॉक्टर कह रहा था मेरे पास ज्यादा समय नहीं है वो भी उनसे मिला हुआ है

ये सब जानकर चंद्रकांता के आंसू नहीं रुक रहे थे
आपको सही होना है मेरे लिए

ये सुनते ही आत्मा भावुक हो गयी
क्योंकि शरीर के पास समय बचा था
यम आए जीव लेने

सुरेश ने कहा आप तो काल है
प्राणी की आत्मा को ले जाते आप

पर क्या प्यार भी भगवान के सिंहासन को नहीं हरा सकता
मेरा एक्सीडेंट हुआ और मृत्यु हो गयी अभी तो चंद्रकांता को कोई खुशी भी नहीं मिली

मानव तुम्हारी बात सही है पर मैं ब्रम्हा के नियम से बंधा हूं

ओम ब्रह्मदेव प्रसिध प्रसिध ब्रह्मदेव

थोड़ी देर ब्रह्मदेव प्रकट हुए
बोलो मानव क्यों याद करा मुझे
ब्रम्हदेव को नमन

आप सभी को वर देते
मेरी पत्नी को एक वर दे दीजिए
आप पूछियेगा मत क्या वर
मेरी पत्नी को मैं खुशियां देना चाहता था पर मेरा तो समय पूरा हो गया

मैं अपनी पत्नी के साथ कुछ समय बिताना चाहता हूं
भले वो एक क्षण ही क्यों ना हो

ब्रम्हदेव ने इतनी स्तुति और भले कुछ समय की जिंदगी पर चंद्रकांता के साथ बिता सके

ये विनती करने उन्होंने वर दिया
तुम दीर्घायु होंगे और अपनी पत्नी के साथ समय बिता पाओगे उसकी खुशी का ध्यान रखना क्योंकि ये जिंदगी तुम्हें उसी के कारण मिली है

कहकर ब्रम्हदेव और यमदेव अंतर्ध्यान हो गए

सुरेश की आत्मा अपने शरीर मे घुस गयी
और चंद्रकांता को गले लगाया

अपने पति को पुनः जीवित देखकर
चंद्रकांत की खुशी का ठिकाना ना रहा

सुरेश अब चंद्रकांता को समय देने लगा

जिन परिवार वालों ने सुरेश का एक्सीडेंट कराया था
उनकी समय से पहले मृत्यु हुई ।


समाप्त
15/6/2024
10:55 रात्रि
© ©मैं और मेरे अहसास