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ड्यूटी से शुरू ड्यूटी पर खत्म 1
जब एक सिपाही अपने घर से अपनी ड्यूटी के लिए निकलता है तो यही दुआ करता है कि,"भगवान मेरे पीठ पीछे मेरे परिवार का ख्याल रखना।" क्योंकि वो जा तो रहा होता परंतु वो लौटेगा या नहीं ये मालूम नहीं होता। सिपाही अपने इस डर को अपने अंदर छिपा लेता है और अपनी वर्दी की चमक को अपनी आंखों में बसा लेता है,क्योंकि उसकी एक जिंदगी है जो, "ड्यूटी से शुरू और ड्यूटी पर खत्म है ।"
एक सिपाही अपनी मजबूरियों को छिपाते छिपाते कई बार अनेकों बीमारियों से ग्रस्त हो जाता है जिनका उसे कभी एहसास तक नहीं हो पाता। एक सिपाही कई प्रकार की बीमारियों से लड़ते हुए भी अपने फ़र्ज़ से मुंह नहीं फेरता बल्कि उसे निरंतर निभाने की कोशिश करता रहता है। उसका एक ही तो जीवन है जो "ड्यूटी से शुरू और ड्यूटी पर खत्म है।"
एक सिपाही के कंधों पर पूरे विभाग की मान मर्यादा की जिम्मेदारी होती है,जिसे निभाने के लिए उसे हर कदम पर तैयार रहना होता है।एक सिपाही अपने विभाग की रीड़ की हड्डी माना जाता है इसलिए उसका कर्तव्यनिष्ठ होना अति आवश्यक है।काम कोई भी हो ,समस्या कैसी भी हो सबसे पहले उसका सामना सिपाही ही करता है। कभी कभी परिस्थितियां ऐसी होती हैं कि सिपाही की जान पर बन आती है ,फिर भी सिपाही उस समय आम लोगों के जान माल की ही चिंता करता है।
सिपाही एक ऐसा शक्स है जिसका बिस्तर हमेशा कंधे पर ही होता है उसे मालूम ही नहीं होता कब किधर का रुख हो जाए।
साल में इतनी बार उसे छुट्टियां नहीं मिलती ,जितनी बार छुट्टियां बन्द हो जाती हैं । पुलिस का जवान कोई भी हो किसी भी पद पर हो हमेशा अपने कर्तव्य का पालन करने के लिए तत्पर रहता है। उसे किसी से ना तो कोई शिकवा होता है न कोई शिकायत होती है वो तो बस निरंतर अपने कर्तव्य पथ पर ही अग्रसर रहता है।क्योंकि उसे मालूम है कि उसका एक ही जीवन है जो "ड्यूटी से शुरू और ड्यूटी पर खत्म है।"


© Kaku Pahari