बस इतना-सा साथ 71
( नेहा की मम्मी , मनीष की मम्मी से बात कर रही होती हैं। )
नेहा की मम्मी- पर आपको हमने नेहा का नाप
तो दिया था , फिर इतना फर्क़ कैसे ।
मनीष की मम्मी - मैंने तो नाप से ही बनवाया था ,
फिर ना जाने कैसे ? लड़कियाँ तो डाइटिंग
करती हैं शादी पर नेहा वज़न बढ़ा रही है
क्या ।
नेहा की मम्मी - डाइटिंग तो नहीं कर रही , और
वजन बढ़ने का तो सवाल ही नहीं उठता ।
सुबह से शाम तो एक पांव पर भागती रहती
है। इसका वज़न बढ़ जाने कि बात ही नहीं।
मनीष की मम्मी - कुछ तो हुआ ही होगा । या तो
नाप सही नहीं भेजा होगा । इतना भी कहाँ
फर्क़ होगा , दो इंच की तो बात है।
नेहा की मम्मी - ( चौंक कर ) दो इंच ?
मनीष की मम्मी - ( सकपका जाती हैं। ) हाँ,
जब आप कह रहे हो, आ रहा है पर टाइट है
तो यही कुछ दो-एक इंच का ही फर्क होगा ।
( नेहा की मम्मी संतुष्ट तो नहीं थी मनीष की मम्मी के जवाब से पर कुछ कह भी ना सकी। )
नेहा की मम्मी - फिर तो इसे बदलवाना ही सही
रहेगा।
मनीष की मम्मी - पर अब तो नहीं बदलेगा ना ।
नेहा की मम्मी - क्यूँ ?
मनीष की मम्मी - वो हमने फिटिंग करा लिया
ना।
नेहा की मम्मी - पर ( इतना बोल , असमंजस में
और निराशा में शीला आंटी की तरफ
देखती हैं। शीला आंटी भी इशारे में पूछती
हैं, क्या हुआ ? )
नेहा की मम्मी - होना, ... ( फिर फोन के स्पीकर पर हाथ रखते हुए । ) कह रही हैं, नहीं बदली
होगा। ( नेहा भी पीछे सुन ही रही होती है , पर फिलहाल कुछ कहे या ना कहे समझ नहीं आ रहा था । )
शीला आंटी - तू बस दुकान का नाम और पता
पूछ ले ।
नेहा - उसकी क्या जरूरत है, ( ड्रेस का बैग दिखाते हुए। ) इस पर सब कुछ है, नाम, पता ,
फोन नंबर सब कुछ ।
शीला आंटी - तो इतनी देर से क्या मुँह में गुड़ की
डली ले रखी थी ।
नेहा - मुझे क्या पता ..... ?
शीला आंटी- ( नेहा से ) बस अब रहने दे।
नेहा- ( मन में) ये सही है बड़े लोगों का , पहले
बताते भी नहीं हैं कि क्या चल रहा है। फिर
उम्मीद करते हैं कि हम खुद ही समझ
जाएं। माना हम थोड़े से स्मार्ट हैं आप
लोगों से पर फिर भी मन पढ़ना अब भी
नहीं आता है हमें ।
शीला आंटी - ( नेहा की मम्मी ) बस तू रख दे
फोन, दुकान पर बात करते हैं।
नेहा की मम्मी - ( मनीष की मम्मी से ) चलो जी
हम देखते हैं , क्या कर सकते हैं।
मनीष की मम्मी - माफ़ करना जी , वो एक्स्ट्रा
कलियां कटवाई ना होती , तो दिक्कत ही
ना होनी थी ।
नेहा की मम्मी - कटवाई ? ( नेहा की मम्मी लांछे को पलट देखती हैं और शीला आंटी को भी दिखाती हैं। )
मनीष की मम्मी - मैंने तो अच्छा ही सोच के करी
थी , कि फिटिंग सही आ जाएगी।
( शीला आंटी कटाई के निशान देख कहती हैं। )
शीला आंटी - सत्या नाश.... ( नेहा की मम्मी चुप होने का इशारा करती हैं । )
मनीष की मम्मी - निकली तो अच्छा ही करने थी,
पर क्या करूँ उल्टा हो ही जाता है।
नेहा की मम्मी - कोई नहीं इतनी बड़ी भी बात
नहीं है। ( नेहा और शीला आंटी आँखें चढ़ा एक-दूसरे को देखती हैं। ) हम देख लेंगें क्या कर
सकते हैं, वरना फिर कुछ और ले लेगी
नेहा ।
मनीष की मम्मी- नहीं , नहीं चौधरन ऐसे नहीं
होता। लड़की को तो हमारे लाए हुए
कपड़े ही पहनने पड़ेंगे।
नेहा की मम्मी - जब नाप ही ना आए, तो कैसे
पहनेगी। ( बोल ही रही थी कि शीला आंटी फोन ले लेती हैं और नेहा की मम्मी को चुप होने का इशारा कर स्पीकर ऑन कर देती हैं। )
मनीष की मम्मी- इतना भी थोड़े ही छोटा है कि
नहीं पहन पाएगी। कुछ 19 - 20 होगा वो
दुपट्टे से ढक जाएगा। वरना फिर.....
शिला आंटी - वरना फिर आप नेहा के लिए
दूसरा जोड़ा भिजवा देना ।
मनीष की मम्मी - ( आवाज सुन समझ जाती हैं कि नेहा की मम्मी नहीं अब कोई और है। और सवालिया स्वर में कहती हैं । ) जी ?
शीला आंटी - हाँ जी , नमस्कार चौधरन पहचाना
नहीं ? शीला...
मनीष की मम्मी- अरे हाँ , वही मैं सोचूँ आवाज़
तो सुनी- सुनी लग रही है। नमस्कार जी ,
नमस्कार।
शीला आंटी - पर मुझे तो आपसे शिकायत है।
पहला शगुन का सामान भी आपने ध्यान से
नहीं भेजा ।
मनीष की मम्मी - हो गई जी अब गलती, अपने
से तो मैं समझदारी ही दिखा रही थी ।
शीला आंटी - तभी तो कहते हैं, कि कभी- कभी
ज्यादा समझदारी भी महंगी पड़ जाती है।
( सुन नेहा को हँसी आ जाती है, जिसे देख नेहा की मम्मी उसे आँखें दिखाती हुए चुप रहने का इशारा करती हैं। और शीला आंटी से फोन लेने लगती हैं पर आंटी फोन नहीं देती । )
मनीष की मम्मी - नेहा की मम्मी,...
शीला आंटी - नेहा की मम्मी तो कुछ बोलेगी
नहीं, और नेहा की तो भूल ही जाओ। पर
आप तो समझदार हो, ये शादी - ब्याह
सगाई सब एक ही बार होते हैं। फिर आप
ही तो कहते मेरा तो एक ही लड़का है ,
सारे अरमान पूरे करुँगी। पर ऐसे? अपने
एक ही लड़के की एक ही बहू के लिए भी
तो आप सब नंबर वन ही रखोगे।
मनीष की मम्मी- हाँ जी, एक दम सही कह रहे
हो आप। आप परेशान मत हो अगर नहीं
होता है कुछ ठीक तो आप बता देना हम
दूसरा भिजवा देंगे। ऐसे छोटे- मोटे ख़र्चे तो
होते ही रहते हैं।
शीला आंटी- अरे ना - ना परेशानी की....
( शिला आंटी बोल ही रही होती हैं, कि मनीष की मम्मी बीच में ही बोल पड़ती हैं। )
मनीष की मम्मी - मनीष के पापा बुला रहे हैं, मैं
थोड़ी देर में करती हूँ आपको कॉल।
( कह बिना कुछ सुने सीधा फोन काट देती हैं। )
शीला आंटी - अच्छा ठीक... ( देखती हैं, फोन ही काट दिया । )
नेहा की मम्मी- क्या हुआ ?
शीला आंटी - कुछ नहीं, बहाना बना फोन काट
दिया।
नेहा की मम्मी - हाँ, तू इतनी मीठी - मीठी बातें
करेगी तो काटेगी ही गले थोड़ी लगाएगी।
शीला आंटी - गले तो वो किसी हालत में नहीं
लगाने वाली। खुद गलती करके भी वो
जब वो हम पर ही चढ़ेगी तो भी कुछ ना
कहे । हैं भई नेहा ..
( नेहा चुप एक बार मम्मी को देखती है , एक बार आंटी को फिर कहती है । )
नेहा - मैंने तो सुना ही क्या कह दिया आपने।
शीला आंटी - शैतान लड़की, तूने कुछ सुना ही
नहीं , ला अभी सुनाती हूँ तुझे।
( कह नेहा का कान पकड़ने लगती हैं। )
नेहा की मम्मी - उसका कान क्यूँ पकड़ रही है
अब ?
शीला आंटी - क्यूंकि तेरा मैं पकड़ नहीं सकती।
वो फोन कर-कर के , इतनी लंबी लिस्ट
देती रहती है चार सूट बहनों के , चार
फूफस के और ना जाने क्या - क्या कह
लाखों के कपड़े तो अभी सगाई पर ही
मंगा लिए। फिर देखना शादी पर इससे
दुगना मंगवाएगी पर तू एक बार अपनी .
लड़की के कपड़े के लिए मत बोलना
उसे । कौन से दस जोड़ी देने वाली है
इसे , पर कम से कम जो दे रही है वो तो
सही दे ।
( फिर नेहा की तरफ देखती हैं, रजामंदी के लिए पर खुद ही बोल पड़ती हैं। ) तू तो रहने ही दे ।
नेहा की मम्मी- ( शीला आंटी से ) तू भी रहने दे ।
अब इसका ( लांछे को दिखाते हुए। )
क्या करना है।
शीला आंटी - इसका तो हम कुछ नहीं कर
सकते। ना कपड़ा है इसमें की आधा इंच
भी खुलवाया जाए । वैसे भी नेहा को तो
बस बैठे ही रहना है उस दिन। थोड़ा टाइट
है पर कुछ घंटों की तो बात है। और अभी
व्रत भी कर ही रही है, कुछ एक- दो ग्राम
कम हो ही जाएगा।
( सुन नेहा हंसने लगती है। )
अब तू क्यूँ हँस रही है।
नेहा - क्या आंटी अब हँसने भी नहीं दोगी। आप
बात ही ऐसी कर रहे हो। मुझे पर तो हवा
भी हलवे की तरह असर करती है।
नेहा की मम्मी - ( नेहा की मम्मी ) ओ हलवे वाली
अब ये सब बंद करो , और टैलर के पास
जाओ तुम दोनों।
नेहा - ( चौंक कर ) अभी ?
नेहा की मम्मी - हाँ , तीन दिन तो वो भी लेगा
बनाने में। और हमारे पास गिनती के पाँच
ही दिन हैं।
नेहा - हाँ तो कल इंस्टिट्यूट से आते वक़्त दे
आऊँगी ना , आंटी को क्यूँ परेशान कर रहे
हो।
शीला आंटी - ठीक है, तो फिर मैं चलती हूँ ।
नेहा की मम्मी - ( शीला आंटी को रोकते हुए। )
कहाँ चलती हूँ, इसका भरोसा नहीं है
क्या बनवा लाए। कंफर्टेबल हूँ मैं इसमें
कह इस लांछे के ब्लाउज में भी कॉलर
लगवा लाएगी , लांछे का चक्कर कम है
कि ब्लाउज का भी तू नाश करवा दे।
शीला आंटी - ( हँसते हुए ) चल बेटा, ये तो तू कर
सकती है इसमे तो मैं तेरी माँ के साथ हूँ ।
नेहा - ये सही है, शादी मेरी और मेरी ही
पसंद ....
नेहा की मम्मी- ये इमोशनल ड्रामा नहीं। जिंदगी
भर कार्टून बन कर घूमती रहना। पर
अभी नहीं।
( नेहा कुछ कहे पर नेहा की मम्मी की आँखें नेहा को कह देती हैं कि कोई फायदा नहीं। )
नेहा -( शीला आंटी से ) चलिए आंटी , होम
मिनिस्ट्री का ऑर्डर है मानना तो पड़ेगा ही ।
( और नेहा और आंटी मार्केट के लिए निकल जाते हैं। )
( उधर मनीष के घर में मनीष की मम्मी किचन में काम करते हुए अपने में बड़- बड़ा रही होती हैं। )
मनीष की मम्मी - पड़ोसी है तो पड़ोसी बन कर
रहे । ऐसे बोल रही है जैसे लड़के वाले
हम नहीं वो हैं। एक बार शादी हो जाने
दो, फिर बताती हूँ मैं समधन किसे कहते
हैं। आप तो समझदार हो, मुझे नहीं
समझ आता जैसे कौन-सी समझदारी
की बात कर रही....
( इतने में मनीष पीछे से आता है । )
मनीष - क्या हुआ माँ किसकी समझदारी की
बात हो रही है।
मनीष की मम्मी - ( पीछे मुड़ते हुए ) तेरे ससुराल
वालों की । अकेले आया है कालरा कहाँ
गया।
मनीष - वो उसे दुकान पर काम था , तो सीधा
निकल गया।
मनीष की मम्मी - चल ठीक है, मुझे भी मार्केट
जाना है । सब्जी बना दी है , रोटी मैं
आकर बनाती हूँ, तब तक तेरे पापा भी
आ जाएंगे।
मनीष - हम्म ।
( कहते हुए मनीष की मम्मी अंदर की तरफ जाती हैं, और एक लहंगे का बैग लेकर आती हैं। )
मनीष - ये तो नेहा की ड्रेस है ना ! आप इसे कहाँ
ले जा रहे हो। और हाँ एक मिनट आपने
तो कहा था नेहा की ड्रेस आपने भिजवा
दी ।
मनीष की मम्मी - जो भिजवानी थी ,वो भिजवा
दी । और ये क्या नेहा - नेहा लगा रखा है।
अभी आई नहीं है ये लड़की तब ये हाल
है, आ जाएगी तब तो ना जाने क्या होगा।
( कहते हुए चली जाती हैं। )
मनीष - ( अपने आप से ) अब इन्हें क्या हुआ है,
वैसे तो पूरे दिन नेहा - नेहा करती रहती
हैं। अब इतना चीड़ रही हैं, वो भी सिर्फ
नाम से । क्या ये सांस बहू वाला अखाड़ा
पहले ही तो नहीं खोल बैठेगी । सोच एक
तरफ मम्मी जी और एक तरफ सुनो जी
और बीच में ए जी । नहीं- नहीं नेहा
समझदार है सम्भाल लेगी, ओए मम्मी
भी तो समझदार हैं। अच्छा सोच मनीष ,
अच्छा सोच । वैसे अगर नेहा को ये ड्रेस
नहीं दी , तो कौन- सी दी है।
( सोच में पड़ जाता है। )
continued to next part....
© nehaa
नेहा की मम्मी- पर आपको हमने नेहा का नाप
तो दिया था , फिर इतना फर्क़ कैसे ।
मनीष की मम्मी - मैंने तो नाप से ही बनवाया था ,
फिर ना जाने कैसे ? लड़कियाँ तो डाइटिंग
करती हैं शादी पर नेहा वज़न बढ़ा रही है
क्या ।
नेहा की मम्मी - डाइटिंग तो नहीं कर रही , और
वजन बढ़ने का तो सवाल ही नहीं उठता ।
सुबह से शाम तो एक पांव पर भागती रहती
है। इसका वज़न बढ़ जाने कि बात ही नहीं।
मनीष की मम्मी - कुछ तो हुआ ही होगा । या तो
नाप सही नहीं भेजा होगा । इतना भी कहाँ
फर्क़ होगा , दो इंच की तो बात है।
नेहा की मम्मी - ( चौंक कर ) दो इंच ?
मनीष की मम्मी - ( सकपका जाती हैं। ) हाँ,
जब आप कह रहे हो, आ रहा है पर टाइट है
तो यही कुछ दो-एक इंच का ही फर्क होगा ।
( नेहा की मम्मी संतुष्ट तो नहीं थी मनीष की मम्मी के जवाब से पर कुछ कह भी ना सकी। )
नेहा की मम्मी - फिर तो इसे बदलवाना ही सही
रहेगा।
मनीष की मम्मी - पर अब तो नहीं बदलेगा ना ।
नेहा की मम्मी - क्यूँ ?
मनीष की मम्मी - वो हमने फिटिंग करा लिया
ना।
नेहा की मम्मी - पर ( इतना बोल , असमंजस में
और निराशा में शीला आंटी की तरफ
देखती हैं। शीला आंटी भी इशारे में पूछती
हैं, क्या हुआ ? )
नेहा की मम्मी - होना, ... ( फिर फोन के स्पीकर पर हाथ रखते हुए । ) कह रही हैं, नहीं बदली
होगा। ( नेहा भी पीछे सुन ही रही होती है , पर फिलहाल कुछ कहे या ना कहे समझ नहीं आ रहा था । )
शीला आंटी - तू बस दुकान का नाम और पता
पूछ ले ।
नेहा - उसकी क्या जरूरत है, ( ड्रेस का बैग दिखाते हुए। ) इस पर सब कुछ है, नाम, पता ,
फोन नंबर सब कुछ ।
शीला आंटी - तो इतनी देर से क्या मुँह में गुड़ की
डली ले रखी थी ।
नेहा - मुझे क्या पता ..... ?
शीला आंटी- ( नेहा से ) बस अब रहने दे।
नेहा- ( मन में) ये सही है बड़े लोगों का , पहले
बताते भी नहीं हैं कि क्या चल रहा है। फिर
उम्मीद करते हैं कि हम खुद ही समझ
जाएं। माना हम थोड़े से स्मार्ट हैं आप
लोगों से पर फिर भी मन पढ़ना अब भी
नहीं आता है हमें ।
शीला आंटी - ( नेहा की मम्मी ) बस तू रख दे
फोन, दुकान पर बात करते हैं।
नेहा की मम्मी - ( मनीष की मम्मी से ) चलो जी
हम देखते हैं , क्या कर सकते हैं।
मनीष की मम्मी - माफ़ करना जी , वो एक्स्ट्रा
कलियां कटवाई ना होती , तो दिक्कत ही
ना होनी थी ।
नेहा की मम्मी - कटवाई ? ( नेहा की मम्मी लांछे को पलट देखती हैं और शीला आंटी को भी दिखाती हैं। )
मनीष की मम्मी - मैंने तो अच्छा ही सोच के करी
थी , कि फिटिंग सही आ जाएगी।
( शीला आंटी कटाई के निशान देख कहती हैं। )
शीला आंटी - सत्या नाश.... ( नेहा की मम्मी चुप होने का इशारा करती हैं । )
मनीष की मम्मी - निकली तो अच्छा ही करने थी,
पर क्या करूँ उल्टा हो ही जाता है।
नेहा की मम्मी - कोई नहीं इतनी बड़ी भी बात
नहीं है। ( नेहा और शीला आंटी आँखें चढ़ा एक-दूसरे को देखती हैं। ) हम देख लेंगें क्या कर
सकते हैं, वरना फिर कुछ और ले लेगी
नेहा ।
मनीष की मम्मी- नहीं , नहीं चौधरन ऐसे नहीं
होता। लड़की को तो हमारे लाए हुए
कपड़े ही पहनने पड़ेंगे।
नेहा की मम्मी - जब नाप ही ना आए, तो कैसे
पहनेगी। ( बोल ही रही थी कि शीला आंटी फोन ले लेती हैं और नेहा की मम्मी को चुप होने का इशारा कर स्पीकर ऑन कर देती हैं। )
मनीष की मम्मी- इतना भी थोड़े ही छोटा है कि
नहीं पहन पाएगी। कुछ 19 - 20 होगा वो
दुपट्टे से ढक जाएगा। वरना फिर.....
शिला आंटी - वरना फिर आप नेहा के लिए
दूसरा जोड़ा भिजवा देना ।
मनीष की मम्मी - ( आवाज सुन समझ जाती हैं कि नेहा की मम्मी नहीं अब कोई और है। और सवालिया स्वर में कहती हैं । ) जी ?
शीला आंटी - हाँ जी , नमस्कार चौधरन पहचाना
नहीं ? शीला...
मनीष की मम्मी- अरे हाँ , वही मैं सोचूँ आवाज़
तो सुनी- सुनी लग रही है। नमस्कार जी ,
नमस्कार।
शीला आंटी - पर मुझे तो आपसे शिकायत है।
पहला शगुन का सामान भी आपने ध्यान से
नहीं भेजा ।
मनीष की मम्मी - हो गई जी अब गलती, अपने
से तो मैं समझदारी ही दिखा रही थी ।
शीला आंटी - तभी तो कहते हैं, कि कभी- कभी
ज्यादा समझदारी भी महंगी पड़ जाती है।
( सुन नेहा को हँसी आ जाती है, जिसे देख नेहा की मम्मी उसे आँखें दिखाती हुए चुप रहने का इशारा करती हैं। और शीला आंटी से फोन लेने लगती हैं पर आंटी फोन नहीं देती । )
मनीष की मम्मी - नेहा की मम्मी,...
शीला आंटी - नेहा की मम्मी तो कुछ बोलेगी
नहीं, और नेहा की तो भूल ही जाओ। पर
आप तो समझदार हो, ये शादी - ब्याह
सगाई सब एक ही बार होते हैं। फिर आप
ही तो कहते मेरा तो एक ही लड़का है ,
सारे अरमान पूरे करुँगी। पर ऐसे? अपने
एक ही लड़के की एक ही बहू के लिए भी
तो आप सब नंबर वन ही रखोगे।
मनीष की मम्मी- हाँ जी, एक दम सही कह रहे
हो आप। आप परेशान मत हो अगर नहीं
होता है कुछ ठीक तो आप बता देना हम
दूसरा भिजवा देंगे। ऐसे छोटे- मोटे ख़र्चे तो
होते ही रहते हैं।
शीला आंटी- अरे ना - ना परेशानी की....
( शिला आंटी बोल ही रही होती हैं, कि मनीष की मम्मी बीच में ही बोल पड़ती हैं। )
मनीष की मम्मी - मनीष के पापा बुला रहे हैं, मैं
थोड़ी देर में करती हूँ आपको कॉल।
( कह बिना कुछ सुने सीधा फोन काट देती हैं। )
शीला आंटी - अच्छा ठीक... ( देखती हैं, फोन ही काट दिया । )
नेहा की मम्मी- क्या हुआ ?
शीला आंटी - कुछ नहीं, बहाना बना फोन काट
दिया।
नेहा की मम्मी - हाँ, तू इतनी मीठी - मीठी बातें
करेगी तो काटेगी ही गले थोड़ी लगाएगी।
शीला आंटी - गले तो वो किसी हालत में नहीं
लगाने वाली। खुद गलती करके भी वो
जब वो हम पर ही चढ़ेगी तो भी कुछ ना
कहे । हैं भई नेहा ..
( नेहा चुप एक बार मम्मी को देखती है , एक बार आंटी को फिर कहती है । )
नेहा - मैंने तो सुना ही क्या कह दिया आपने।
शीला आंटी - शैतान लड़की, तूने कुछ सुना ही
नहीं , ला अभी सुनाती हूँ तुझे।
( कह नेहा का कान पकड़ने लगती हैं। )
नेहा की मम्मी - उसका कान क्यूँ पकड़ रही है
अब ?
शीला आंटी - क्यूंकि तेरा मैं पकड़ नहीं सकती।
वो फोन कर-कर के , इतनी लंबी लिस्ट
देती रहती है चार सूट बहनों के , चार
फूफस के और ना जाने क्या - क्या कह
लाखों के कपड़े तो अभी सगाई पर ही
मंगा लिए। फिर देखना शादी पर इससे
दुगना मंगवाएगी पर तू एक बार अपनी .
लड़की के कपड़े के लिए मत बोलना
उसे । कौन से दस जोड़ी देने वाली है
इसे , पर कम से कम जो दे रही है वो तो
सही दे ।
( फिर नेहा की तरफ देखती हैं, रजामंदी के लिए पर खुद ही बोल पड़ती हैं। ) तू तो रहने ही दे ।
नेहा की मम्मी- ( शीला आंटी से ) तू भी रहने दे ।
अब इसका ( लांछे को दिखाते हुए। )
क्या करना है।
शीला आंटी - इसका तो हम कुछ नहीं कर
सकते। ना कपड़ा है इसमें की आधा इंच
भी खुलवाया जाए । वैसे भी नेहा को तो
बस बैठे ही रहना है उस दिन। थोड़ा टाइट
है पर कुछ घंटों की तो बात है। और अभी
व्रत भी कर ही रही है, कुछ एक- दो ग्राम
कम हो ही जाएगा।
( सुन नेहा हंसने लगती है। )
अब तू क्यूँ हँस रही है।
नेहा - क्या आंटी अब हँसने भी नहीं दोगी। आप
बात ही ऐसी कर रहे हो। मुझे पर तो हवा
भी हलवे की तरह असर करती है।
नेहा की मम्मी - ( नेहा की मम्मी ) ओ हलवे वाली
अब ये सब बंद करो , और टैलर के पास
जाओ तुम दोनों।
नेहा - ( चौंक कर ) अभी ?
नेहा की मम्मी - हाँ , तीन दिन तो वो भी लेगा
बनाने में। और हमारे पास गिनती के पाँच
ही दिन हैं।
नेहा - हाँ तो कल इंस्टिट्यूट से आते वक़्त दे
आऊँगी ना , आंटी को क्यूँ परेशान कर रहे
हो।
शीला आंटी - ठीक है, तो फिर मैं चलती हूँ ।
नेहा की मम्मी - ( शीला आंटी को रोकते हुए। )
कहाँ चलती हूँ, इसका भरोसा नहीं है
क्या बनवा लाए। कंफर्टेबल हूँ मैं इसमें
कह इस लांछे के ब्लाउज में भी कॉलर
लगवा लाएगी , लांछे का चक्कर कम है
कि ब्लाउज का भी तू नाश करवा दे।
शीला आंटी - ( हँसते हुए ) चल बेटा, ये तो तू कर
सकती है इसमे तो मैं तेरी माँ के साथ हूँ ।
नेहा - ये सही है, शादी मेरी और मेरी ही
पसंद ....
नेहा की मम्मी- ये इमोशनल ड्रामा नहीं। जिंदगी
भर कार्टून बन कर घूमती रहना। पर
अभी नहीं।
( नेहा कुछ कहे पर नेहा की मम्मी की आँखें नेहा को कह देती हैं कि कोई फायदा नहीं। )
नेहा -( शीला आंटी से ) चलिए आंटी , होम
मिनिस्ट्री का ऑर्डर है मानना तो पड़ेगा ही ।
( और नेहा और आंटी मार्केट के लिए निकल जाते हैं। )
( उधर मनीष के घर में मनीष की मम्मी किचन में काम करते हुए अपने में बड़- बड़ा रही होती हैं। )
मनीष की मम्मी - पड़ोसी है तो पड़ोसी बन कर
रहे । ऐसे बोल रही है जैसे लड़के वाले
हम नहीं वो हैं। एक बार शादी हो जाने
दो, फिर बताती हूँ मैं समधन किसे कहते
हैं। आप तो समझदार हो, मुझे नहीं
समझ आता जैसे कौन-सी समझदारी
की बात कर रही....
( इतने में मनीष पीछे से आता है । )
मनीष - क्या हुआ माँ किसकी समझदारी की
बात हो रही है।
मनीष की मम्मी - ( पीछे मुड़ते हुए ) तेरे ससुराल
वालों की । अकेले आया है कालरा कहाँ
गया।
मनीष - वो उसे दुकान पर काम था , तो सीधा
निकल गया।
मनीष की मम्मी - चल ठीक है, मुझे भी मार्केट
जाना है । सब्जी बना दी है , रोटी मैं
आकर बनाती हूँ, तब तक तेरे पापा भी
आ जाएंगे।
मनीष - हम्म ।
( कहते हुए मनीष की मम्मी अंदर की तरफ जाती हैं, और एक लहंगे का बैग लेकर आती हैं। )
मनीष - ये तो नेहा की ड्रेस है ना ! आप इसे कहाँ
ले जा रहे हो। और हाँ एक मिनट आपने
तो कहा था नेहा की ड्रेस आपने भिजवा
दी ।
मनीष की मम्मी - जो भिजवानी थी ,वो भिजवा
दी । और ये क्या नेहा - नेहा लगा रखा है।
अभी आई नहीं है ये लड़की तब ये हाल
है, आ जाएगी तब तो ना जाने क्या होगा।
( कहते हुए चली जाती हैं। )
मनीष - ( अपने आप से ) अब इन्हें क्या हुआ है,
वैसे तो पूरे दिन नेहा - नेहा करती रहती
हैं। अब इतना चीड़ रही हैं, वो भी सिर्फ
नाम से । क्या ये सांस बहू वाला अखाड़ा
पहले ही तो नहीं खोल बैठेगी । सोच एक
तरफ मम्मी जी और एक तरफ सुनो जी
और बीच में ए जी । नहीं- नहीं नेहा
समझदार है सम्भाल लेगी, ओए मम्मी
भी तो समझदार हैं। अच्छा सोच मनीष ,
अच्छा सोच । वैसे अगर नेहा को ये ड्रेस
नहीं दी , तो कौन- सी दी है।
( सोच में पड़ जाता है। )
continued to next part....
© nehaa