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प्रकाश और अन्धकार
प्रकाश और अन्धकार का कोई मेल नहीं दोनों का अपना अपना महत्व है।
अन्धकार में जब प्रकाश की किरण दिखाई देती है तो मन प्रफुल्लित हो उठता है।
तब उस प्रकाश का महत्व हमें समझ में आता है।उसी तरह कभी कभी नकारात्मक बातें भी
हमें प्रकाश की तरफ ले जाती हैं।
क्योंकि इंसाँ को जब ठोकर लगती है।
तभी वो चलना सीखता है।
उसे पता लग चुका होता है पहले मैंने ये कार्य किया था तो मुझे असफलता हाथ लगी थी।
अब ये कार्य करूँगा तो गिर जाऊँगा इसलिए फूँक फूँक के कदम रखने में ही अक्लमंदी है।
इंसाँ को अन्धकार से प्रकाश में ले जाने में
प्रकृति, समय, समाज में रह रहे लोगों का बड़ा
हाथ होता है।
कई पक्षी ऐसे होते हैं जो सिर्फ अन्धकार में देख सकते हैं।कुछ ऐसे होते हैं जिन्हें अन्धकार में दिखाई देना बंद हो जाता है।
इसी तरह मानव बुद्धि भी है किसी की कहीं काम करती है तो किसी की कहीं पर
इसी तरह प्रकृति भी हमें अपने अन्धकार और प्रकाश के नए नए रूपों से मिलवाती है।
कभी सर्दी कभी गर्मी कभी बरसात कभी प्रकृति। कभी भी एक सा मौसम नहीं रहता।
प्रकृति का प्रकोप तो सुनामी भूकम्प बाढ़ ग्लोबल वार्मिंग के रूप में देखा जाता है जिसका
सीधा असर हम मानव पे भी पड़ता है।
जब इन प्रकोपों से हमें निजात मिलता है तब एक प्रकाश की किरण नज़र आती है।
इंसाँ जब अन्धकार में रहता है तो उसे
नहीं पता होता है प्रकाश क्या होता है।
जैसे ही मस्तिष्क को प्रकाश की एक किरण दिखाई देती है, तब उसे पता चलता है वो अब तक अन्धकार में जी रहा था।
अन्धकार से परे भी कोई दुनिया है।
बच्चा जब छोटा होता है तब उसके माता पिता
उसे अच्छे बुरे कार्यों में फर्क समझाते हैं।
बाद में यही कार्य विद्यालय में अध्ययन द्वारा सम्भव हो पाता है।
इंसाँ जब सत्संग या अच्छे लोगों के बीच बैठता
है तब भी वो प्रकाशवान होता है।
लेकिन आज के युग में कुछ ही मानव साधु संतों से सुनी बातों पर अमल करते हैं।
जब तक उनकी छत्रछाया में रहते हैं तब तक उन्ही के गुण गाते दिखते हैं।
बाद में वो भी समाज के रंग में रँगे दिखते हैं।
ठोकर लगने पे उन्हें अपने गुरुओं की कही बातें याद आती हैं,जो उनका मार्ग प्रकाशित करती हैं।
समय भी अन्धकार और प्रकाश पे कार्य करते हैं।वो कहते हैं न समय अच्छा तो सब अच्छा।
अब सवाल ये उठता है समय को तो कोई बदल
नहीं सकता।
लेकिन समय को बदला जा सकता है योग ईश्वर
ध्यान द्वारा जो हमें अन्धकार आने से पहले ही सचेत करते हैं।
हमने कई बड़े बड़े चमत्कार देखे हैं
जो कार्य असम्भव थे वो सम्भव हो गए।
योग और ईश्वर ध्यान द्वारा इंसाँ प्रकाश और अन्धकार में समन्वय स्थापित कर लेता है।
अगर इस लेख पे आप कुछ टिप्पणी करना चाहते हैं तो कर सकते हैं।
ताकि हम भी प्रकाशवान हो सकें।
#प्रकाश और अन्धकार
© Manju Pandey Choubey